जाड़ों का मौसम

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सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

माघी पूर्णिमा ९ फरवरी २००९

देवगीत ;इस चिट्ठे को प्रोत्साहन देने वाले अपने सभी साथियों को मैं हृदय से धन्यवाद प्रेषित करती हूँ और
दिल्ली की कंक्रीट की इमारतों के बीच ग्रहण का ही सही माघी पूर्णिमा का चाँद अपनी छत से दिखाती हूँ - -
शायद हमारे शहर का ,सारे संसार का मौसम बदल जाए !


राहू की छाया से घबरा कर ,डर कर पीला सा चेहरा लिए,
माघ की मधुरिमा भरी पूर्णिमा की चांदनी ,
धरती के आँचल की ओट में छिप गयी |
पर - - थोड़ी देर बाद ही - - -
फागुनी बयार की ऊंगली थामे ,
बूढ़े पीपल बाबा के ऊंचे काँधों से ,
चुपके से कूदकर आ गई है मेरे आँगन में ;
बौराई पवन के गुदगुदाने से छमकी जो चाँदनी की पायल
उसकी रुपहली रुनझुन -रुनझुन - - -आँगन से ----
पूरे घर में खिलखिलाती हँसी - सी बिखर रही है - -
माघी पूनम खुशी की किरन -किरन बन सब ओर बरस रही है

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