शतदल निर्झरिणी कल मुखरित देवदारु कानन में
सुमित धवन भोज पत्रों से छाई हुई कुटी के भीतर
रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों से कुंतल को साजे
इंद्रनील की माला डाले शंख सरीखे सुघड़ गलों में
कानों में कुवलय लटकाए शतदल लाल कमल वेणी में
रजत रचित मणि खचित कलामय पानपात्र द्राक्षासव पूरित
रखे सामने अपने-अपने लोहित चंदन की त्रिपटी पर
नरम निदाघ बाल कस्तूरी मृगछालों पर पालथी मारे
मदिरारुण आंखों वाले उन उन्मद किन्नर किन्नरियों की
मृदुल मनोहर अंगुलियों को वंशी पर फिरते देखा है
बादल को घिरते देखा है - - - -
वेद-पुराणों पौराणिक ग्रंथों और आधुनिक साहित्य में किन्नर पर्वतराज हिमालय के सुरम्य अंचलों में बसने वाली महत्वपूर्ण आदिम जाति है। अत्यंत शांतिप्रिय और संगीतप्रिय इस जाति की किन्नरी वीणा का उल्लेख संस्कृत ग्रंथों में भी हुआ है । पहले किन्नौर या किन्नर क्षेत्र बहुत विस्तृत था ईसा पूर्व तीसरी सदी में रचित सुत्तपिटक में लिखा है चंद्रभागा नदी तीरे अहोसिं किन्नर तदा।अर्थात किन्नौर या किन्नर क्षेत्र कश्मीर से पूर्व नेपाल तक अर्थात पश्चिमी हिमालय किन्नर जाति का निवास था आज भी चंद्रभागा अर्थात चनाब नदी के तट पर किन्नौरी भाषा बोली जाती है
महाकवि भारवि ने अपने प्रसिद्ध महाकाव्य " किरातार्जुनीयम् " के पांचवें सर्ग के १७वें श्लोक में हिमालय का वर्णन करते हुए लिखा है किन्नर गंधर्व यक्ष तथा अप्सराओं आदि देव-योनियों का किन्नर देश निवास स्थान था | वायु पुराण के अनुसार महानील पर्वत पर किन्नरों का निवास बताया गया है | मत्स्य पुराण के अनुसार वह हिमवान पर्वत के निवासी थे |हरिवंशपुराण में किन्नरों को फूलों तथा पत्तों से श्रृंगार करते हुए बताया गया है जो गायन और नृत्य कला में अति दक्ष होती हैं | महाभारत के शांतिपर्व में भीम द्वारा किन्नरों के सदाचारी होने का वर्णन किया गया है, साथ ही कार्तिकेय नगर को किन्नरों के मधुर गान से गुंजायमान वर्णित किया गया है | दिग्विजय पर्व में अर्जुन का किन्नरों के देश जाने का वर्णन है |
किन्नरों का वर्णन बौद्ध ग्रंथों में भी है ' चंद किन्नर जातक ' में "बोधिसत्व" के हिमालय प्रदेश के किन्नर योनि में जन्म लेने की बात की गई है | इस संदर्भ में किन्नर और किन्नरों की कई कथाएं वर्णित हैं | अजंता के भित्तिचित्रों में किरातों- किन्नरों चित्र हैं |
कालिदास के अमर ग्रंथ " कुमारसंभव " में किन्नरों का मनोहारी वर्णन है |
वर्तमान में किन्नौर हिमाचल प्रदेश का अति सुंदर सीमावर्ती जनजातीय जिला है जिसके पूर्वी छोर में तिब्बत पश्चिम में कुल्लू का लाहौल स्पीति दक्षिण पश्चिम में शिमला जिला और दक्षिण में उत्तर प्रदेश का उत्तरकाशी क्षेत्र और शिमला का रोहड़ू क्षेत्र आते हैं
पुराणों में देैवी गायकों का सम्मान पाने वाले किन्नरों की सांस्कृतिक,सामाजिकऔर परंपरागत महत्ता को ताक पर रखकर तथाकथित बुद्धिजीवियों,प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक-मीडिया "किन्नर" शब्द को हिजड़ा या थर्ड जेंडर का पर्यायवाची बनाने के भ्रामक षड्यंत्र में जुटा है | भारतीय देव-संस्कृति की इस प्रत्यक्ष पहचान,हमारी इस दिव्य "देवभूमि किन्नौर" के शांतिप्रिय "किन्नर" इस साज़िश का शिकार ना बनें ये हम सब भारतीयों का सामूहिक दायित्व है !!
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