"औरत नें जनम दिया मर्दों को , मर्दों ने उसे बाज़ार दिया " जैसी नज़्मों से इंसानी ज़हनियत को झकझकोरने वाले , पूरे माशरे से भरपूर साफ़गोई से तल्ख़ सवाल करने की जुर्रत रखने वाले ********
मेरे मनपसंद शायर " साहिर लुधियानवी जी " का जन्मदिन और "महिला -दिवस " एक ही दिन !!
********* श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ इस अज़ीम शायर को ***********
" न मुँह छुपा के जिए हम , न सर झुका के जिए
सितमगरों की नज़र से नज़र मिला के जिए
अब एक रात अगर कम जिए तो कम ही सही
यही बहुत है कि हम मिशअले जला के जिए। . "
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