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शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ समग्र विश्व के हिंदी प्रेमियों को

                    
 आज का दिन हिंदी के अंकों  को समर्पित करते हुए मैं आपका ध्यान उनकी ओर दिलाना चाहती हूँ |  इस विषय पर चुप रहने की ताब मुझमे नहीं है इसलिए बिना लिखे रह नहीं पाई | देवनागरी अंकों का सवाल  मुझे हमेशा भीतर तक कचोट जाता है इसीलिए  आज भी अपने देशवासियों द्वारा इस  सत्य को नकारने की अपनी पीड़ा को ही दोहरा रही हूँ  |
  मेरा यह निश्चित मत है कि यदि हम हर सत्य को जानने के लिए पश्चिमी जगत का मुँह  ताकने की आदत पर गर्व कर  भारतीय दृष्टिकोण को नकारते रहे तो भावी पीढ़ी के पैरों तले बिछी तर्क और विचारों की पुश्तैनी उपजाऊ ज़मीन खींच लेंगे । ठीक वैसे ही जैसे देवनागरी अंकों को नकार कर "अरेबिक नम्बर्स"  को अपनाना आवश्यक  घोषित कर, भारत की नई पीढ़ी को उनकी महान विरासत से जुड़ने का मौक़ा ही ना दें । नई पीढ़ी कभी ये जान ही ना पाए कि पहली कक्षा से वे जिन अंकों अर्थात अरेबिक नम्बर्स को सीखते हैं उनको आज भी अरब में " हिन्दसा " अर्थात  ' हिन्द  से आया हुआ ' तथा सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ को" मुहन्दिस " कहा जाता है । अरब के महान  गणितज्ञ " मुहम्मद इब्न ज़ुबेर" ने भारतीय बीजगणित  के ग्रन्थों का अनुवाद अरबी किया ,यही अन्य देशों में अलज़ुबेर > अलज़ेबरा  कहलाया।  एक लम्बी सूची है- ज्योमिति, त्रिकोणमिति आदि की भी।देवनागरी के इन अंकों - ०,१,२,३,४,५,६,७,८,९ || को आधार बना कर ही भारतीय गणितज्ञों ने विश्व को महानतम उपलब्धियां प्रदान की | यही कारण है  कि यूनेस्को  आर्यभट(४७६ ई0.से ४२१ई0) की १५०० वीं जयंती मना चुका | भास्कराचार्य ; जिन्होंने न्यूटन से पाँच सौ वर्ष पहले गुरूत्वाकर्षण -सिद्धांत का प्रतिपादन अपने ग्रन्थ सूर्य -सिद्धांत में कर दिया था, उनके ग्रन्थ लीलावती के विश्व की अधिकांश भाषाओं में अनुवाद हुआ \ , वेदों के शून्य (0 / ज़ीरो ) तथा  वायु -पुराण में प्रयुक्त :---- -   १,00.00 ,00 ,00,00,00,00,000 के लिए एक' परार्ध' और उसके दस गुना को 'पर' की संज्ञा दिए जाने के सत्यों के साथ-साथ एक लम्बी सूची है- ज्योमिति, त्रिकोणमिति आदि की भी। मुझे  देवनागरी अंकों का निर्वासन भारतियों को इस महान परम्परा से दूर रखने की साज़िश सा दिखाई देता है |
 मैं जानती हूँ, विदेशी ठप्पा लगे बिना स्वदेशी को अपनाने का अपने देश में रिवाज़ नही (योग;जब तक योगा नही बना-तब तक कितनों ने अपनाया था?)  वैदिक गणित और देवनागरी अंकों का महत्व हम प्रसिद्ध आस्ट्रेलियाई गणितज्ञ ए.एल.बाशम के The Wonder that was INDIA  की इन पंक्तियों से सहज ही आँक सकते हैं | "The world owes most to India in the realm of mathematics ,which was developed to a stage more advanced than that reached by any other nation of antiquity "



1 टिप्पणी:

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