जाड़ों का मौसम

जाड़ों का मौसम
मनभावन सुबह

लोकप्रिय पोस्ट

लोकप्रिय पोस्ट

Translate

लोकप्रिय पोस्ट

गुरुवार, 8 मई 2014

" 9 मई --एक ख़ास दिन "


बैसाख की बौराई अमराइयों की गर्म होती छाहों में  ,
आज कोयल की कूक बन कर जिसे पुकारा है ...,
तपते दिनों की ठँडी सी पुरवाई  --- तुम ही तो हो |
उलझनों ,उदासी के उमस भरे दिनों में  ,
 जब मन अनबूझे डर से दहल जाए तब ..
जो प्राणों को बेला सा महकाए वो-तुम ही तो हो ।
हादसों के समंदरों नें पाँव तले की ज़मीन छीनी ,
तब उफनती लहरों में पैर जमा , हाथ थाम
मेरे  गुमशुदा हौसलों को मुझे लौटाया वो-- तुम ही तो हो ।
सिर्फ़ तुम ---सिर्फ़ तुम ही हो ।
करिश्मा ये कैसा हुआ अभी -अभी देखो ;
जेठ की ओर क़दम बढ़ाते मौसम की सरगम
रिमझिम के मधुर सुरों में खोने लगी  है ।



हवाओं के झकोरों से बादलों तक पहुँचीआज के "ख़ास दिन" की ख़बर शायद ---
 हमारे साथ -साथ सबको होने लगी है। 9 मई --एक-- ख़ास दिन की ख़बर ॥
                                         *************                               

कोई टिप्पणी नहीं: