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शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

'गुलेरी' जी के महान व्यक्तित्व व कर्तृत्व को मेरा कोटि -कोटि नमन !!


चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी 'जी मूलत: हिमाचल प्रदेश के निवासी थे।  इनका ३९ वर्षों का छोटा सा जीवन-काल व्यापक व विशाल कार्यकाल का साक्षी बना है। लगभग बीस वर्ष की आयु में 'जयपुर वेधशाला ' के शोध व् जीर्णोद्धार के लिए गठित मंडल में चुने जाने वाले गुलेरी जी संस्कृत ,प्राकृत ,हिंदी ,जर्मन ,फ्रेंच बांगला व् मराठी भाषाओं के ज्ञाता थे। वे धर्म,ज्योतिष ,इतिहास ,पुराण,दर्शन,विज्ञान,पुरातत्व,राजनीति , शिक्षाशास्त्र ,चित्रकला आदि क्षेत्रों का विस्तृत ज्ञान रखते थे। उनकी कहानियाँ , आख्यान ,निबंध ,प्रबंध ,शोधपत्र ,समीक्षाएँ ;कला, विज्ञान, समाज, राजनीति आदि वैविध्यपूर्ण विषयों पर  उनके वैचारिक व समसामयिक सरोकारों को स्पष्ट करती है। 
उनके ' कछुआ -धर्म' निबंध की समसमयिकता आज भी नकारी नहीं जा सकती। 'खेलोगे कूदोगे होंगे खराब ' वाले युग में खेलों की वकालत करने वाले 'गुलेरी' जी के महान व्यक्तित्व व कर्तृत्व को मेरा कोटि -कोटि नमन !!




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