भारत के सभी रेडियो श्रोताओं का अभिनन्दन व सबको हार्दिक शुभकामनाएँ 🌷🌷🌷🌷
📻आज रेडियो श्रोता दिवस है। 20 अगस्त 1921 में शौकिया रेडियो संचालकों के माध्यम से भारत मे पहली बार बिना किसी व्यवस्था की अनुमति के, रेडियो प्रसारण किया गया था।
भारत में विधिवत रेडियो प्रसारण 23 जुलाई 1927 को शुरू हुआ था। छत्तीसगढ़ के कुछ श्रोताओं ने 2006 में रेडियो श्रोता दिवस पहली बार मनाया, और तब से भारत मे रेडियो के श्रोता इसे रेडियो दिवस के रूप में मना रहे हैं।
रेडियो को लोकप्रिय बनाने में हम सभीश्रोताओ का बहुत बड़ा योगदान रहा है, यही नही श्रोताओं के कारण कई जगहों की भी लोकप्रियता बढ़ी है। बहुत से ऐसे स्थान हैं जिनके बारे में हम नही जानते थे लेकिन -- झुमरी तलैया, राजनांद गांव, कटनी, मजनू का टीला, मलोट पंजाब, डिगाडी कलां, रसाल रोड, पनवेल, नागदा, आदि सैकड़ो जगहों के नाम हैं, जिनको सुनने की ऐसी आदत हो गई थी कि ये नाम ना सुनाई देने पर दिन अधूरा सा लगता था ।
उस दौर में जब आज की तरह इंटरनेट सेवा नही थी तब हम युवा रेडियो प्रेमी पोस्टकार्ड खरीदकर लाते, युववाणी के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए पत्र लिखते। प्रमुख आकाशवाणी केंद्रों के कार्यक्रमों के प्रसारण समयों के बारे में भी हम श्रोता पूरी जानकारी रखते थे - - - - संगीत सरिता, संगम, फ़रमाइशी नग़मे, हवामहल, नाटकों व संगीत के अखिल भारतीय कार्यक्रम, फ़ौजी भाईयों के लिए, और अमीन सयानी वाला बिनाका गीतमाला आदि ।
कई लोग ये हिसाब भी रखते थे कि किस केंद्र को कितने पत्र भेजे है और कितने शामिल हुए। कटनी के एक श्रोता अनिल ताम्रकार ने आकाशवाणी को 6 लाख से ज्यादा पत्र लिखे। इसका उनके पास रिकॉर्ड भी है। मलोट पंजाब के श्रोता सतीश मिगलानी बताते है कि श्रोताओं ने इससे ज्यादा चिठ्ठियाँ लिखी हैं लेकिन ज्यादातर के पास रिकॉर्ड नही है। आपको याद होगा जब रेडियो सीलोन से बिनाका गीत माला का प्रसारण होता था, उसमे इन श्रोता संघों की राय का विशेष रूप से जिक्र होता था।आज भी दूरस्थ श्रोता जो अपना नाम नही सुन पाता उसे स्थानीय श्रोता सूचित कर देता है कि अमुक कार्यक्रम में आपका नाम प्रसारित हुआ। रेडियो श्रोताओं ने इस मामले में राष्ट्रीय एकता और साम्प्रदायिक सद्भाव को भी मजबूती दी है। साथ ही कार्यक्रमों के रूप बदलने में या कार्यक्रम के चयन में इनके पत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
वास्तव में भारतीय रेडियो के इतिहास में परिवर्तन इस तरह आया।1921से 1927 तक भारत में भी ढेरों रेडियो क्लबों की स्थापना हो चुकी थी। 1936 में भारत में सरकारी ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई जो आज़ादी के बाद "ऑल इंडिया रेडियो" या " आकाशवाणी " बन गया।पर- - - - इसके समर्पित श्रोताओं का उत्साह आज भी वैसा ही है।
1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत होने पर भारत में भी रेडियो के सारे लाइसेंस रद्द कर दिए गए और ट्रांसमीटरों को सरकार के पास जमा करने के आदेश दे दिए गए।
नरीमन प्रिंटर(बॉम्बे टेक्निकल इंस्टीट्यूट बायकुला के प्रिंसिपल) ने रेडियो इंजीनियरिंग की शिक्षा पाई थी। लाइसेंस रद्द होने की ख़बर सुनते ही उन्होंने अपने रेडियो ट्रांसमीटर को खोल दिया और उसके पुर्जे अलग-अलग जगह पर छुपा दिए।
इस बीच गांधी जी ने अंग्रेज़ों भारत छोडो का नारा दिया। गांधी जी समेत तमाम नेता 9 अगस्त 1942 को गिरफ़्तार कर लिए गए और प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई। नरीमन प्रिंटर नें 27 अगस्त 1942 में उद्घोषक उषा मेहता के साथ प्रसारण शुरू किया
इसके बाद इसी रेडियो स्टेशन ने गांधी जी का भारत छोड़ो का संदेश, मेरठ में 300 सैनिकों के मारे जाने की ख़बर, कुछ महिलाओं के साथ अंग्रेज़ों के दुराचार जैसी ख़बरों का प्रसारण किया जिसे समाचारपत्रों में सेंसर के कारण प्रकाशित नहीं किया गया था।
नरीमन प्रिंटर, अंग्रेज़ पुलिस की नज़र से बचने के लिए ट्रांसमीटर को तीन महीने के भीतर ही सात अलग अलग स्थानों पर ले गये थे ।
12 नवम्बर 1942 को नरीमन प्रिंटर और उषा मेहता को गिरफ़्तार कर लिया गया और इस रेडियो प्रसारण की कहानी यहीं ख़त्म हो गई।
नवंबर 1941 में रेडियो जर्मनी से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भारतीयों के नाम संदेश भारत में रेडियो के इतिहास में एक और प्रसिद्ध दिन रहा जब नेताजी ने कहा था, “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।”
इसके बाद 1942 में "आज़ाद हिंद रेडियो" की स्थापना हुई जो पहले जर्मनी से फिर सिंगापुर और रंगून से भारतीयों के लिये समाचार प्रसारित करता रहा।
आज भी हमारे जैसे श्रोता उसी लगन के साथ रेडियो से जुड़े हुए हैं । यूँ भी कहते हैं कि पुरानी आदतें मुश्किल से बदलती हैं.... हमें तो आँखें बंद करके रेडियो के कार्यक्रमों को सुनना आज भी बहुत अच्छा लगता है....
हमारे जैसे सभी रेडियो -श्रोताओं को इस रेडियो श्रोता-दिवस की ढेर सारी बधाई। 🌷🌷🌷🌷
📻आज रेडियो श्रोता दिवस है। 20 अगस्त 1921 में शौकिया रेडियो संचालकों के माध्यम से भारत मे पहली बार बिना किसी व्यवस्था की अनुमति के, रेडियो प्रसारण किया गया था।
भारत में विधिवत रेडियो प्रसारण 23 जुलाई 1927 को शुरू हुआ था। छत्तीसगढ़ के कुछ श्रोताओं ने 2006 में रेडियो श्रोता दिवस पहली बार मनाया, और तब से भारत मे रेडियो के श्रोता इसे रेडियो दिवस के रूप में मना रहे हैं।
रेडियो को लोकप्रिय बनाने में हम सभीश्रोताओ का बहुत बड़ा योगदान रहा है, यही नही श्रोताओं के कारण कई जगहों की भी लोकप्रियता बढ़ी है। बहुत से ऐसे स्थान हैं जिनके बारे में हम नही जानते थे लेकिन -- झुमरी तलैया, राजनांद गांव, कटनी, मजनू का टीला, मलोट पंजाब, डिगाडी कलां, रसाल रोड, पनवेल, नागदा, आदि सैकड़ो जगहों के नाम हैं, जिनको सुनने की ऐसी आदत हो गई थी कि ये नाम ना सुनाई देने पर दिन अधूरा सा लगता था ।
उस दौर में जब आज की तरह इंटरनेट सेवा नही थी तब हम युवा रेडियो प्रेमी पोस्टकार्ड खरीदकर लाते, युववाणी के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए पत्र लिखते। प्रमुख आकाशवाणी केंद्रों के कार्यक्रमों के प्रसारण समयों के बारे में भी हम श्रोता पूरी जानकारी रखते थे - - - - संगीत सरिता, संगम, फ़रमाइशी नग़मे, हवामहल, नाटकों व संगीत के अखिल भारतीय कार्यक्रम, फ़ौजी भाईयों के लिए, और अमीन सयानी वाला बिनाका गीतमाला आदि ।
कई लोग ये हिसाब भी रखते थे कि किस केंद्र को कितने पत्र भेजे है और कितने शामिल हुए। कटनी के एक श्रोता अनिल ताम्रकार ने आकाशवाणी को 6 लाख से ज्यादा पत्र लिखे। इसका उनके पास रिकॉर्ड भी है। मलोट पंजाब के श्रोता सतीश मिगलानी बताते है कि श्रोताओं ने इससे ज्यादा चिठ्ठियाँ लिखी हैं लेकिन ज्यादातर के पास रिकॉर्ड नही है। आपको याद होगा जब रेडियो सीलोन से बिनाका गीत माला का प्रसारण होता था, उसमे इन श्रोता संघों की राय का विशेष रूप से जिक्र होता था।आज भी दूरस्थ श्रोता जो अपना नाम नही सुन पाता उसे स्थानीय श्रोता सूचित कर देता है कि अमुक कार्यक्रम में आपका नाम प्रसारित हुआ। रेडियो श्रोताओं ने इस मामले में राष्ट्रीय एकता और साम्प्रदायिक सद्भाव को भी मजबूती दी है। साथ ही कार्यक्रमों के रूप बदलने में या कार्यक्रम के चयन में इनके पत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
वास्तव में भारतीय रेडियो के इतिहास में परिवर्तन इस तरह आया।1921से 1927 तक भारत में भी ढेरों रेडियो क्लबों की स्थापना हो चुकी थी। 1936 में भारत में सरकारी ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई जो आज़ादी के बाद "ऑल इंडिया रेडियो" या " आकाशवाणी " बन गया।पर- - - - इसके समर्पित श्रोताओं का उत्साह आज भी वैसा ही है।
1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत होने पर भारत में भी रेडियो के सारे लाइसेंस रद्द कर दिए गए और ट्रांसमीटरों को सरकार के पास जमा करने के आदेश दे दिए गए।
नरीमन प्रिंटर(बॉम्बे टेक्निकल इंस्टीट्यूट बायकुला के प्रिंसिपल) ने रेडियो इंजीनियरिंग की शिक्षा पाई थी। लाइसेंस रद्द होने की ख़बर सुनते ही उन्होंने अपने रेडियो ट्रांसमीटर को खोल दिया और उसके पुर्जे अलग-अलग जगह पर छुपा दिए।
इस बीच गांधी जी ने अंग्रेज़ों भारत छोडो का नारा दिया। गांधी जी समेत तमाम नेता 9 अगस्त 1942 को गिरफ़्तार कर लिए गए और प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई। नरीमन प्रिंटर नें 27 अगस्त 1942 में उद्घोषक उषा मेहता के साथ प्रसारण शुरू किया
इसके बाद इसी रेडियो स्टेशन ने गांधी जी का भारत छोड़ो का संदेश, मेरठ में 300 सैनिकों के मारे जाने की ख़बर, कुछ महिलाओं के साथ अंग्रेज़ों के दुराचार जैसी ख़बरों का प्रसारण किया जिसे समाचारपत्रों में सेंसर के कारण प्रकाशित नहीं किया गया था।
नरीमन प्रिंटर, अंग्रेज़ पुलिस की नज़र से बचने के लिए ट्रांसमीटर को तीन महीने के भीतर ही सात अलग अलग स्थानों पर ले गये थे ।
12 नवम्बर 1942 को नरीमन प्रिंटर और उषा मेहता को गिरफ़्तार कर लिया गया और इस रेडियो प्रसारण की कहानी यहीं ख़त्म हो गई।
नवंबर 1941 में रेडियो जर्मनी से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भारतीयों के नाम संदेश भारत में रेडियो के इतिहास में एक और प्रसिद्ध दिन रहा जब नेताजी ने कहा था, “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।”
इसके बाद 1942 में "आज़ाद हिंद रेडियो" की स्थापना हुई जो पहले जर्मनी से फिर सिंगापुर और रंगून से भारतीयों के लिये समाचार प्रसारित करता रहा।
आज भी हमारे जैसे श्रोता उसी लगन के साथ रेडियो से जुड़े हुए हैं । यूँ भी कहते हैं कि पुरानी आदतें मुश्किल से बदलती हैं.... हमें तो आँखें बंद करके रेडियो के कार्यक्रमों को सुनना आज भी बहुत अच्छा लगता है....
हमारे जैसे सभी रेडियो -श्रोताओं को इस रेडियो श्रोता-दिवस की ढेर सारी बधाई। 🌷🌷🌷🌷
जी हाँ!!!! एक आवश्यक सूचना :----
नीचे रखे इस पुराने रेडियो की पुरानी धुन सुनकर पुरानी यादें ताज़ा कीजिए और आनंद लीजिए!!
पुरानी धुन को सुनने के बाद नई ख़बर - - - -
नीचे के लिंक को अपने सेलफ़ोन पर कॉपी करें और बिना इयरफ़ोन /डाउनलोड के…. ४३ चैनल अपने फ़ोन पर अपनी मर्ज़ी से सुनें 🎶🎶🎶🎶
http://prasarbharati.gov.in/playersource.php?channel=43
इस लिंक पर या फिर Garden radio पर विश्व को अपने फोन पर रेडियो सुनें।
😊सुप्रभात
नीचे रखे इस पुराने रेडियो की पुरानी धुन सुनकर पुरानी यादें ताज़ा कीजिए और आनंद लीजिए!!
पुरानी धुन को सुनने के बाद नई ख़बर - - - -
नीचे के लिंक को अपने सेलफ़ोन पर कॉपी करें और बिना इयरफ़ोन /डाउनलोड के…. ४३ चैनल अपने फ़ोन पर अपनी मर्ज़ी से सुनें 🎶🎶🎶🎶
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😊सुप्रभात
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