समसामयिक परिवेश में जो कुछ घटता है वो कभी लावे की तरह तो कभी बर्फ की तरह पिघल कर मेरी क़लम से अक्षरों में बदलता जाता है | अक्षरों की ये आँच, ये ठँडक उन सब तक पहुँचे जो अपनी बात *अपनी भाषा में कहने में झिझकते नहीं हैं !!!!
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रविवार, 8 फ़रवरी 2009
जन्मदिन -चक्रधरजी का ८ फरवरी २००९
आठ के ठाठ का दिन , उस कलाकार के नाम का दिन ,
वसंत के वैभव को ,उसके रंगों को - - जिस जादूगर ने ,
ज़िन्दगी के इन्द्रधनुष में उतार कर - सिर्फ़ किताबों और कैनवास को ही नही ,
ना जाने कितने प्राणों को अपनी कलम से,अपनी तूलिका से स्पंदित किया है
कितनी मुस्कुराती पलकों की कोर भिगोते सपनों को - -
- -यथार्थ के रंगों से नया अर्थ दिया है |
मैं जानती हूं - -अनगिनत नयन
तितली के पंखों से कोमल और वज्र की कठोरता से कठोर
सपनों को सहेज कर उस क्षण का इंतज़ार कर रहे है -
जब एक चक्रधर लाखों इन्द्रधनुष उतार लायेगा धरती पर
तभी तो धरा ने अपने वासंती पुष्प सजाये है शुभकामनाओं के |
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