समसामयिक परिवेश में जो कुछ घटता है वो कभी लावे की तरह तो कभी बर्फ की तरह पिघल कर मेरी क़लम से अक्षरों में बदलता जाता है | अक्षरों की ये आँच, ये ठँडक उन सब तक पहुँचे जो अपनी बात *अपनी भाषा में कहने में झिझकते नहीं हैं !!!!
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रविवार, 26 जुलाई 2009
करगिल विजय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
हिमगिरी के उज्जवल मस्तक पर रक्त–तिलक करने वालों ,
विकट झँझावातों को क्षण भर में धराशायी करने वालों ।
बर्फ़ीली ठिठुराती ठँड में शौर्य-ऊष्मा की आँच भरने वालों ,
अपनों को रोता छोड़ देश के लिए प्राण अर्पित करने वालों ।
निर्भीक ,निडर ,तेजस्वी वीर - आपदाओं के सम्मुख अड़ने वालों ,
यशस्वी सपूत भारत माता के – देशप्रेम के नए अर्थ घढ़ने वालों ।
नई पीढ़ी के चिंतन को उत्प्रेरित कर नई ऊर्जा नया तेज भरने वालों ,
कृतज्ञ-राष्ट्र नतमस्तक है – हे शत्रुहंताओं ! हे करगिल-विजय करने वालों !!
!! जय भारत ! जय भारतीय – सेना ! जय भारत ! जय भारतीय – सेना !!
कैप्टन विजयंत थापर , कैप्टन विक्रम बत्रा , कैप्टन संजय कुमार ,कैप्टन अनुज नायर , ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव , मनोज कुमार पांडेय , आदि अनेक शूरवीर सैनिकों की समृतियाँ कभी भी धुँधली नहीं होंगी । देश के कल के लिए अपना आज निर्द्वन्द्व भाव से बलिदान करने वालों के प्रति देश्वासियों की कृतज्ञता कभी कम नहीं होगी । यह सुखद संयोग है कि आज का दिन भारतीय परंपरा में शेषनाग के प्रति आभार प्रदर्शन- पर्व के रूप में आदि काल से मनाया जाता है । पौराणिक आख्यानों में वर्णित है कि सृष्टी की रचना करते समय विधाता ने शेषनाग की रचना की । इस रचना का उद्देश्य था पृथ्वी को घूमने की शक्ति प्रदान करना जिससे ऋतुओं का चक्र चले और धरती पर जीवन संभव हो । धरती के घूमने का कारण बने – शेषनाग । शेषनाग ने लोक क्ल्याण के लिए धरा को अपने विशाल फनों पर धारण कर जीवन के प्रस्फुटन के लिए वातावरण बनाया । शेषनाग के आविर्भाव का पावन दिन आज नाग- पंचमी पर्व के रूप में देश भर में उत्साह से मनाया जाएगा । सांस्कृतिक हो या ऐतिहासिक – आज का मंगलकारी दिन जीवन की रक्षा उसके संरक्षण के लिए तत्पर परमवीरों का दिन है इसे पूरी निष्ठा से मनाएँ – श्रद्धा – सुमन अर्पित करें ।
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2 टिप्पणियां:
Very beautifully written poem of valour and sacrifice of the highest order by the soldiers of our great country. This is the cornerstone of a civilization that has endured 2000 years of war and peace and yet, stands tall as the world's next hallmark.
Jai hind!
अमर शहीदों को नमन.
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