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बुधवार, 12 दिसंबर 2012

"12-12-12" का "अनमोल उपहार"

कई दिनों से ,सौ वर्षों में एक बार आने वाले 12-12-12  को लेकर विश्व भर में  ख़बरों का बाज़ार  गर्म  है । आज के दिन को विवाह और जन्म से जोड़ने वाला उन्माद भी वातावरण में दिखाई दे रहा है ।अपने कॉलेज के दिनों से किसी भी दिन के महत्व को मैने  उस दिन के प्रकाशित समाचारों से जोड़कर आँकने को अपनी आदत बना लिया है फिर ----- वो चाहे मेरा अपना जन्मदिन हो या अपने प्रियजनों से जुड़े विशेष अवसर  ------ मेरी कल्पना ने सदा ही समाचार -पत्र के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित किसी एक सकारात्मक ख़बर के इर्द -गिर्द  अपनी सोच के ताने-बाने को बुनकर भविष्य को पढ़ने की चेष्टा की है । आज के इस दिन  के " महत्व " ने आदतन आज के समाचार-पत्र की सुर्ख़ियों में कोई "अच्छी ख़बर " खोजने  को बाध्य कर  दिया । 12-12-12-12-12-12 से सजे मुखपृष्ठ में राजनैतिक व  खेल जगत में चलने वाले मठाधीशी कार्य व्यापार के  समाचारों के साथ गुड़गाँव के अस्पताल के गहन चिकित्सा एकक (I .C.U ) में तीन मरीज़ों पर की गई गोलीबारी तथा दिल्ली में कल हुई बारिश से शरद से शिशिर ऋतु की ओर बढ़ते मौसम की खबरों के साथ साथ अख़बार की जिस खबर से आज के दिन को जोड़ पाई ,वह ठंड के मौसम में जीवन की ऊष्मा लेकर आई  है । मौत के ठंडी अँजुली में थामे गए सूरज सी ज़िन्दगी का संदेश देती ख़बर ।"इक्कीस वर्षीय युवक द्वारा चौंतीस लोगों को -जीवन का उपहार " शीर्षक समाचार में , पूर्वी दिल्ली की गीता कॉलनी के "अनमोल " का चित्र भी छपा ।

श्री मदन मोह्न जुनेजा के परिवार को पिछले शुक्रवार अपने इकलौते पुत्र "अनमोल" की सड़क दुर्घटना की सूचना मिली। डॉक्टरों द्वारा मस्तिष्क के मृत (brain -death) हो जाने के कटु-सत्य को जानकर जुनेजा-परिवार नें अपनी आँखों के तारे को सर्व-अंगदान के लिए डॉक्टरों को सौंप दिया ।अनमोल के स्वजनों का यह अभूतपूर्व निर्णय कितनी शुभता से भरा है इसका अनुमान लीवर फेल्योर की अंतिम अवस्था से जूझते और अंग प्रत्यारोपण  का लाभ पाने वाले तिन परिवारों की आज की प्रसन्नता से सहज ही लगाया जा सकता है ।
जुनेजा परिवार को व्यक्तिगत तौर पर मैं नही जानती पर भावनात्मक स्तर पर लगता है कि मानवीय संवेदनाओं के प्रति समर्पित इस परिवार से मेरा घर नाता है ।
अपने घर के एक अनमोल चिराग से अनेक घरों में रौशनी पहुँचाने वाले इस परिवार-जनों व अनमोल  के सम्मुख मैं श्रद्धा से नतमस्तक हूँ  और हृदय से कामना करती हूँ की महर्षि दधीचि की परम्परा वाला मेरा देश 12-12-12 को सर्व अंगदान से जोडकर इसे विशिष्ट दिवस में बदल कर सारे मानव  समाज को सकारात्मक मूल्यों की अनमोल विरासत देने का संकल्प लेगा ।  

2 टिप्‍पणियां:

Ashutosh ने कहा…

Being from the same country where sacrifice for the greater good was almost a way of life (as we drift further and further away from our core culture and what we stood for once), it warms my heart to see that you gave a new meaning to this centennial day and made it so much more than a mere date on the calendar and newspapers.

Thank you for reaffirming mine and many other faiths in the goodness and humanity of us all. I am sure the young man would be smiling with tears of joy sweeping down his cheeks at your mention and importance to his story and inspiration to us all.

Deepest regards to the brave Junejas and I know they will find peace and some solace in the fact that a part of their son lives on in others...

Jai Hind!

Anil Kumar Dubey ने कहा…

Anmol Juneja is the real hero of 12-12-12. My heartfelt wishes to the bereaved family and thanks to Dr.Swaran Anil for the inspiring words. Anil Dubey