घर हमारा प्यार के रंग भरे सुख-सपनों के फूलों का महकता डेरा ।
हमारी दुनिया पर रहता था चाँदनी सी शीतल आपकी ममता का पहरा,
माँ !आप एक ऐसा आकाश जिसे बाँध लेता था मेरी नन्ही बाँहों का घेरा।
जीवन भर ------सिर्फ़ अपनों की नहीं -----------
सबकी खुशियों से दमक उठता था जिनका निश्छल चेहरा,
इन्द्रधनुष सी मुस्कान से तराशा जिन्होंने हर एहसास मेरा ।
आज से अपना रूप बदल कर- `वे' खुद एक एहसास बन कर ,
सौंधी- सौंधी सी पुरवाई बन अब हमारी साँसों में रहेंगी उम्र भर ! !
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( २ ७ मई २ ० १ ३ ,प्रात :७ .४ ० पर हमारी अम्माजी परम तत्व में विलीन हो गईं )
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