पाश्चात्य समाज में हरएक का दिन मनाने की परिपाटी बहुत पुरानी नहीं है ।" मित्रता-दिवस " को प्रारम्भ करने का श्रेय जाता है ' हॉलमार्क कार्ड्स ' के संस्थापक ' जॉयसि हॉल ' को ,जिन्होने सन 1935 में अपने कॉर्डों की बिक्री के लिए इसे प्रचारित किया था । हमें ये बात हमेशा आत्मगौरव से भर जाती है कि भारतीय त्यौहार बाज़ार से नहीं प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों के प्रति प्रेम से जन्में हैं इसीलिए यहाँ पर्व आनंद का संदेश लाते हैं दुःख ,क्लेश या ग्लानि का नहीं । मैनें पहले भी लिखा था कि भारतवर्ष एक दिन का वैलेंटाइन-डे नहीं पूरे महीने भर का मदनोत्सव मनाता है ।
असली मुददा ये है कि किसी दिन की वजह से नहीं ,बहुत बीमार चल रहे हैं और अनिलजी हमारी इच्छाशक्ति बनाये रखने वाले दृढ़त्तम स्तम्भ हैं इसलिए हमने ये धन्यवाद कार्ड बनाया ।
मेरा मानना है कि जो हमारे सुख-दुःख के सच्चे साथी हैं हमेँ अपने उन अपनों को धन्यवाद कहते रहना
चाहिए।
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