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फागुन के मौसम नें अबीर उड़ाई हवाओं के संग फिर इस बार,
घनश्याम नेँ राधिका धरा की धानी चूनर रंग दी फिर इस बार,
खिलखिलाती खुशियों की पायल छनक रही हर बस्ती हर द्वार
नागुनगुती धूप की किरणों का हो गया वासन्ती हर सुनहला तार,
टेसू के फ़ूलों के बंदनवारों से सज गया होली का मदमस्त त्यौहार ,
सबके जीवन में सुख-शांति-समृद्धि की बहती रहे मधुरस भरी रसधार !!
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