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बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

मैक्सिमस

 मैक्सिमस को गए आज एक सप्ताह हो गया है !! हर बार बाहर से घर के दरवाज़े पर दस्तक़ देने के बाद लगता है मैक्स द्वार खुलते ही अपनी छोटी सी दुम और कमर हिलाता हुआ दिखाई देगा। हर तरफ़ उसकी यादों की निशनियाँ हैं। हमें हर ओर वो ,अपने भरपूर प्यार को बांटता नज़र आता है। 
उसके पिछले बरस (५ दिसंबर ) की तस्वीरों और वीडियो  को देख कर कितनी यादें एकसाथ आँखों व् मन को दर्द से भिगो गई हैं।  मैक्सिमस ;जब घर आया था तब कितना  नन्हा सा ,मासूम सा था !ताउम्र उसकी ये मासूमियत वैसी ही बनी रही। आखिरी दो महीनों में उसका दिल कमज़ोर हो गया था। मनु गोदी में उठा कर नीचे ले जाता था , पर उसकी कोशिश रहती थी खड़े होने की.... उसको मेरा इंतज़ार रहता था ब्रश करने , पीठ व कान पर खुजली करने , सहलाने के लिए। जब  वो खाना खाने की अनिच्छा दिखता था हम उसे अपने हाथों से छोटे-छोटे लडडू से बनाकर खिलाते तो बिचारा बिना किसी ना नुकर के चुपचाप सारा खाना खा लेता था। सबके स्वभाव को पहचानने वाला हमारा प्यारा मैकसू सबके स्वभाव के अनुसार ही व्यवहार करता था।  हम इंसान बेशक़ अपनी रूचि के मुताबिक़ कभी प्यार , कभी गुस्से , कभी नाराज़गी से पेश आएं पर उसके पास सिर्फ एक ही भाषा थी ---- प्यार की भाषा ,निस्वार्थ प्यार की भाषा। 
  काश ! मैकसू बच्चे ! थोड़ा समय हम सब और साथ रहते !!

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