बुद्ध -पूर्णिमा ; एक चिरन्तन शान्ति की चाँदनी से भरा -भरा सा दिन ! हमें हमेशा ये सोचने को बाध्य करता है कि युवराज सिद्धार्थ की यात्रा जब भगवान बुद्ध पर आकर ठहरी थी तब उनकी सांसारिक मोह -माया से जुड़ी हर यात्रा को विश्रांति मिल गई थी।
समग्र विश्व को शांति , करुणा और अहिंसा का संदेश देने वाले गौतम बुद्ध ने वाराणसी के पास सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। उस के बाद देशाटन करते हुए ,धर्मोपदेश देते हुए , वे अपने अंतिम समय में कुशीनगर पहुंचे थे।
महापरिनिर्वाण से पूर्व " इस संसार में जो भी कीर्तिवान वस्तुएं हैं उनका स्वभाव है उत्पन्न होना और नष्ट हो जाना। अत: आप सब सांसारिक चीजों से निर्लिप्त होकर वर्तमान में जिएँ "
"वर्तमान में जीने और अपना दीपक आप बनने का "; भगवान बुद्ध का कालजयी संदेश अपने वास्तविक अर्थ में क्या हम सबनें अपनाया है ! यह प्रश्न मैनें अपने आप से कई बार किया !
विशेषत:बुद्ध -पूर्णिमा को !!!!
समग्र विश्व को शांति , करुणा और अहिंसा का संदेश देने वाले गौतम बुद्ध ने वाराणसी के पास सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। उस के बाद देशाटन करते हुए ,धर्मोपदेश देते हुए , वे अपने अंतिम समय में कुशीनगर पहुंचे थे।
महापरिनिर्वाण से पूर्व " इस संसार में जो भी कीर्तिवान वस्तुएं हैं उनका स्वभाव है उत्पन्न होना और नष्ट हो जाना। अत: आप सब सांसारिक चीजों से निर्लिप्त होकर वर्तमान में जिएँ "
"वर्तमान में जीने और अपना दीपक आप बनने का "; भगवान बुद्ध का कालजयी संदेश अपने वास्तविक अर्थ में क्या हम सबनें अपनाया है ! यह प्रश्न मैनें अपने आप से कई बार किया !
विशेषत:बुद्ध -पूर्णिमा को !!!!
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