किशोरी अमोनकर जी की मन के तारों को झनझनाकर प्राणों को आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति में सराबोर करने वाली अलौकिक आवाज़ से मेरा पहला परिचय - - - - " गीत गाया पत्थरों नें " की रोम-रोम को झंकृत करती स्वर लहरियों ने करवाया था।
लगभग ९-१० वर्ष की आयु में जिनके सुरों ने मुझे अपने जादू में बाँधकर एक अटूट नाता जोड़ा - - - - वो आवाज़ अमर है - - - - सदा अमर रहेगी !!
१० अप्रैल १९३२ को मुंबई में जन्मीं किशोरी अमोनकर को हिंदुस्तानी संगीत की चोटी की गायिकाओं में से एक माना जाता है। ख़्याल ,ठुमरी और भजनों को शास्त्रीय संगीत की माधुर्यता से भरनें वाली इस महान गायिका ने अपनी माता प्रसिद्ध गायिका मोघूबाई कुर्दिकर जी से संगीत की शिक्षा पाई थी।
जयपुर घराने की जानी-मानी शास्त्रीय -संगीत की महान गायिका पद्मविभूषण किशोरी अमोनकर जी के महाप्रयाण पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन व श्रद्धासुमन !!!!!
लगभग ९-१० वर्ष की आयु में जिनके सुरों ने मुझे अपने जादू में बाँधकर एक अटूट नाता जोड़ा - - - - वो आवाज़ अमर है - - - - सदा अमर रहेगी !!
१० अप्रैल १९३२ को मुंबई में जन्मीं किशोरी अमोनकर को हिंदुस्तानी संगीत की चोटी की गायिकाओं में से एक माना जाता है। ख़्याल ,ठुमरी और भजनों को शास्त्रीय संगीत की माधुर्यता से भरनें वाली इस महान गायिका ने अपनी माता प्रसिद्ध गायिका मोघूबाई कुर्दिकर जी से संगीत की शिक्षा पाई थी।
जयपुर घराने की जानी-मानी शास्त्रीय -संगीत की महान गायिका पद्मविभूषण किशोरी अमोनकर जी के महाप्रयाण पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन व श्रद्धासुमन !!!!!
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