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शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

अमृता प्रीतम


३१ अगस्त,....'रसीदी टिकट' नाम से अपनी आत्मकथा में 'कई घटनाएं जब
घट रही होती हैं.... अभी-अभी लगे ज़ख्मों सी तब उनकी कसक अक्षरों में
उतर आती है '  लिखने वाली, कुल मिलाकर लगभग सौ पुस्तकें लिखने वाली.
. कवयित्री, उपन्यासकार, लेखिका....'' अमृता प्रीतम जी '' का जन्मदिवस है।
२००४ में पद्म विभूषण, १९६९में पद्मश्री, १९८२ में ज्ञानपीठ पुरस्कार, १९५६ में
साहित्य अकादमी पुरस्कार १९५७में पंजाब भाषा विभाग के और १९८८ में
बल्गारिया वैरोव के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित अमृता जी की कृतियों
का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है ।
“मेरी सारी रचनाएं, क्या कविता, क्या कहानी और क्या उपन्यास, मैं जानती हूं
, एक नाजायज़ बच्चे की तरह हैं। मेरी दुनिया की हक़ीकत ने मेरे मन के सपने
से इश्क किया और उनके वर्जित मेल से यह सब रचनाएं पैदा हुईं। जानती हूं,
एक नाजायज़ बच्चे की किस्मत इसकी किस्मत है और इसे सारी उम्र अपने
साहित्यिक समाज के माथे के बल भुगतने हैं।- -  मन का सपना क्या था,
इसकी व्याख्या में जाने की आवश्यकता नहीं है। यह कम्बख़्त बहुत हसीन होगा,
निजी जिन्दगी से लेकर कुल आलम की बेहतरी तक की बातें करता होगा, तब भी
हक़ीकत अपनी औकात को भूलकर उससे इश्क कर बैठी और उससे जो रचनाएं
पैदा हुईं , हमेशा कुछ कागजों में लावारिस भटकती रहीं…”
अमृता प्रीतम की आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’ का यह एक अंश, जो उनके ही शब्दों
में उनकी "समूची जीवनी का सार है।" वे जानती थीं कि उनके नारी रूप को यहाँ
मुक्त आकाश में अपनी मर्ज़ी से परवाज़ की इजाज़त समाज के ठेकेदार नहीं देंगे
पर 'कुकनूस की नस्ल' के लेखक तो  आग में जलने के बाद उसी राख से फिर ज़िंदा
हो जाते हैं - - सो हमारी अमृता जी भी ज़िंदगी को भरपूर जीती रहीं। अपनी क़लम से
जीवन को किताबों की सूरत में सबके सामने लाती रहीं।
उनके साहित्य को पढ़ने और उसे महसूस करने के कारण हमनें कई बार, अगस्त के
इसी दिन - - पारिजात से महकते उनके घर के बाहर खड़े होकर उनकी पूरी ईमानदारी
और शिद्दत से ज़िन्दगी जीने के जज़्बे को नमन किया है । आज वो घर नहीं तो क्या ?
सच्चे लेखक तो अपनी क़लम के बनाए घरों में हमेशा ज़िन्दा रहते हैं..... वे तो यूँ भी.....
अमृता..... हैं !
आज इमरोज़ जी के इन शब्दों को याद करते हुए कि
- " उन्होंने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं छोड़ा है " -
हम उनके जन्मदिन पर, उनकी कालजयी रचनाओं को पढ़ कर,
विनम्र श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं !!
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