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बुधवार, 28 नवंबर 2018

" अगाडि थोटा : अनूठे सुख का अभूतपूर्व आनंद "।


 *श्री जयदेव अगाडि* जी की मानव के कल्याण को, प्रकृति के संरक्षण से जोड़ कर बसाई गई सुंदरत्तम और अद्वितीय दुनिया का नाम है - - - - " अगाडि थोटा "।
यहां हमें भारतीय परंपरा के ऋषियों के आश्रम सा निर्मल आनंद मिला।केवल और केवल प्रकृति के आश्रय से , प्रकृति के अनावश्यक दोहन के बिना, प्राकृतिक संसाधनों के सही दिशा में उपयोग द्वारा रची गई इस सारी व्यवस्था का आनंद लेने के साथ-साथ जब हमें ' परजन हिताय में स्वान्तःसुखाय ' को चरितार्थ करने वाले *श्री जयदेव अगाडि जी * से बातचीत करने और उनके सानिध्य में समय बिताने का मौका मिला तो लगा हम आज के युग के एक ऐसे ऋषि के साथ हैं। उन्होंने बताया कि  अभी वे अपनी परिकल्पना के 20% को ही पूरा कर पाए हैं 🌷🌷🌷🌷100% होने पर "अगाडि थोटा" का स्वरूप कितना अप्रतिम होगा!!!!
हम दिल्ली में रहते हैं। अभी हमारे पुत्र-पुत्रवधू और पोती , वैनकुवर कैनेडा से भारत आए तो हमारी पुत्रवधू ने “अगाडि थोटा “ जाने का कार्यक्रम बनाया।ये सच्चाई है की वहां पहुंचने के क्षण से लेकर ,वहाँ गुज़रा एक-एक पल, आज की भागदौड़ से ,बाज़ारवादी माहौल से दूर प्रकृति के ऐसे निश्छल,ममत्व भरे परिवेश में बीता | हम एक ऐसी संस्कृति में समय बिता कर आए- - - - जो असली भारतीयता के गुणों का दर्शन हर क़दम पर करवा रही थी | अपनेपन से भरे लोगों को कर्मचारी कहना उनकेआग्रह पूर्वक खिलने-पिलाने के आत्मीय भाव से मेल नहीं खाता | यहाँ हमनें कीमत चुकाने के नाम पर बुकिंग के केवल ५५०/-रु ही चुकाए !! पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य व कोकम के शर्बत से हुए स्वागत ,प्यार से पहनाई गई पारंपरिक पोशाक /आभूषण - - - -और चक्की पीसने का अनुभव !! सब अभूतपूर्व !!
फल ,जूस , गर्म-गर्म दोसे -ताज़ा घी(गाय का )-शक़्कर का नाश्ता (मनुहार के साथ ) दोपहर का भोजन (७-८ स्वादिष्ट व्यंजनों भरी थाली ) , नारियल पानी , ---- सब भरपेट !!हम सच कहें तो पेट भरा होने के बावजूद भी स्वाद के कारण और खाया | हस्तशिल्प को अपने आप करने का आनंद !! इसमें हम सबके सीखने के लिए बहुत कुछ है। हमारी 9 वर्ष की पोती, कैनेडा की सुंदर जगह वैनकुवर से है पर वो यहां से जाना नहीं चाहती थी।हरियाली से भरपूर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच ऊंट, बैलगाड़ी, घोड़े की सवारी, पौटरी, स्वादिष्ट व शुद्ध खाने-पीने के साथ यहाँ स्थानीय लोगों के आत्मीय स्नेह नें हमें बहुत अपनापन दिया।
समाज को एक व्यक्ति का संकल्प, बिना सरकारी सहायता के,सीमित संसाधनों से कैसे बदल सकता है - - - - हमनें यहां आकर जाना। कर्नाटक के हुबली में आकार लेते इस अतुलनीय प्राकृतिक सौंदर्य का, यहां के लोगों के निश्छल स्नेह का प्रत्यक्षदर्शी बनकर हमनें अनूठे सुख का अभूतपूर्व आनंद लिया और शुद्ध, प्राकृतिक सामान भी खरीदा।यहां हम बार-बार आना चाहते हैं।
 *श्री जयदेव अगाडि* जी,एक सच्चे भारतीय को , प्रकृति के संरक्षक व् संवर्द्धन के प्रेरक को ****
हमारा हार्दिक आभार एवं अभिनंदन - - - - इस अप्रतिम अनुभव का साक्षी बनाने के लिए !!


{Agadi Thota, situated in the lush green surroundings of Kunnur village was conceptualized in the year 2000 by Shri. Jayadev Agadi to popularize organic farming, generate awareness amongst city folk and help develop a market for organic foods. Shri. Jayadev Agadi is basically a progressive farmer inclined towards organic farming. Spread over an area of 30 acres with major cultivation being cashew nut and areca nut, Agadi thota believes in ‘Go organic, Go healthy’ mantra.
The periphery of the farm is lined with coconut trees, suppota and mango trees. More than 1000 medicinal plants and vegetables like brinjal, tomato, beans and coriander are grown apart from maize, soya bean and paddy cultivation. Entire stretch of the cultivation is manured organically with organic fertilizers named ‘Jeevamrut’ and ‘Brahmastra’.
It all started from a piece of 5 acre land that expanded to 30 acres of plantation over years of hard work and dedication. Shri. Jayadev Agadi has been felicitated with ‘Krishi Pandit’ award in the year 2014 by honorary CM of Karnataka. The other awards include ‘Shreshtha Krishika’ by University of Agriculture Science, Dharwad, ‘Best farmer’ award by Shri Dharmasthala Manjunatheshwar Grameena Abhivruddhi Yojana and the ‘Rajyotsava’ award.}

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