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बुधवार, 16 जनवरी 2019

शब्द-शिल्पी " नीरज जी " के जन्मदिवस पर 🏵️🌸🌻🌺


 इंसानी संवेदनाओं के कुशल चित्तेरे " पद्मभूषण गोपाल दास नीरज जी " की पंक्तियों में अपने समय का कहें या इंसान के हर दौर का वो सच है जो बार - बार यही समझाता है कि उस नींव को, उन जड़ों  को.... जो हर नए सृजन का आधार हैं.... उनका उचित देय तो दूर की बात है.... थोड़ा सा सम्मान देने की ज़रूरत भी उन के सहारे खड़ी होने वाली बुलंदियाँ नहीं देतीं।
वे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया गया है। पद्म श्री से और पद्म भूषण से सम्मानित नीरज जी को फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।
"स्वप्न झड़े फूल से, गीत चुभे शूल से.... कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे" गाने वाले  महान कवि की सीधी-स्पष्ट स्वीकृति है....
"दिल अपना दरवेश है, धर गीतों का भेष
अलख जगाता फिर रहा, जा-जा देस विदेश।
ना तो मैं भवभूति हूँ, ना मैं कालीदास
सिर्फ प्रकाशित कर रहा, उनका काव्य प्रकाश।"

🏵️🌸🌻🌺
जीवन के हर पहलू के बेबाक शब्द-शिल्पी " नीरज जी " के जन्मदिवस पर कोटि-कोटि नमन व शुभेच्छाएँ ।🏵️🌸🌻🌺

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