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बुधवार, 27 मार्च 2019

विश्व रंगमंच दिवस
















विश्व रंगमंच दिवस 
भारतीय सांस्कृतिक विरासत ,रंगमंच का आविर्भाव ऋग्वेद के यम-यमी संवाद ,उर्वशी -पुरुरवा आदि  संवादों से मानती आई है | इसके विकास की प्रक्रिया को "भरत मुनि " नें इस प्रकार अभिव्यक्ति दी है :-- नाट्यकला की उत्पत्ति दैवी है | अर्थात दुखरहित सतयुग बीत जाने पर त्रेतायुग के आरंभ में देवताओं नें अपने स्रष्टा ब्रह्मा से मनोरंजन का कोई ऐसा साधन उत्पन्न करने की प्रार्थना की जिससे देवता लोग अपना दुख भूल कर आनंद प्राप्त कर सकें | फलत: उन्होंनें ऋग्वेद से कथोपकथन , यजुर्वेद से अभिनय , सामवेद से गायन और अथर्ववेद से रस लेकर " नाटक " का निर्माण किया | विश्वकर्मा नें रंगमंच का निर्माण किया | संस्कृत और पालि भाषाओं का साहित्य प्रमाण देता है कि नाटक और रंगमंच भारतीय जीवन का अभिन्न अंग बन चुके थे | यही कारण है कि चलचित्र अर्थात सिनेमा के आने से पहले भी और उसके आने के साथ भी भारतीय लोकजीवन में, नाटक एवं रंगमंच का स्वरूप चाहे जो भी हो वह अपनी जीवंतता बनाए हुए है |   
यूनान और रोम की सभ्यताओं में चौथी शताब्दी में रंगमंच की कल्पना की जाती है | एथेंस का डायोनीसन रंगमंच आज भी उस काल की स्मृति दिलाते हैं | 
विश्व के आधुनिक रंगमंच का इतिहास सब जानते हैं हम तो आज के दिन को दृश्य और श्रव्य कलाओं का मिश्रित आनंद देने वाले रंगमंच को समर्पित करना चाहते हैं | सन १९६१ में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट नें ,२७ मार्च  को जिस   विश्व रंगमंच दिवस मनाने का आयोजन किया गया था उस रंगमंच - दिवस का अभिनंदन करते हैं  |  

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