जाड़ों का मौसम

जाड़ों का मौसम
मनभावन सुबह

लोकप्रिय पोस्ट

लोकप्रिय पोस्ट

Translate

लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, 27 जनवरी 2019

वंदेमातरम् : अमर राष्ट्रगान

 वन्देमातरम् ‼️  वन्देमातरम् ‼️
समस्त भारतीय स्वातंत्र्य-वीरों का प्रेरणास्रोत ,   सभी भारतीयों के हृदय में सुलगती क्रांति-ज्योति को नए स्वर देने वाले " वंदेमातरम्  " गीत को सन् १८८० में भारतमाता की प्रशस्ति में श्री बंकिम चंद्र चटर्जी नें रचा था।
१८८१में बंकिमचंद्र जी ने इसे अपने सन्यासी क्रांति की पृष्ठभूमि में लिखे उपन्यास ''आनंदमठ '' में इस गीत को शामिल कर लिया। उसके बाद कहानी की माँग को देखते हुए उन्होंने इस गीत के आकार को बड़ा किया। आज भी मातृभूमि की स्तुति के इस ओजस्वी गीत के बोल जन-जन के प्राणों में राष्ट्रभक्ति का संचार करते हैं।
     
वंदेमातरम् 
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्य श्यामलां मातरम् वन्दे।।
शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम् .. वन्दे मातरम् ।।
सप्त कोटि कंठ कलकल निनाद कराले
निसप्त कोटि भुजैध्रुत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीं नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीं मातरम् .. वन्दे मातरम् ।।
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि हृदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मंदिरे मंदिरे .. वन्दे मातरम्।। 
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् .. वन्दे मातरम्।।
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् .. वन्दे मातरम्  ।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

कोई टिप्पणी नहीं: