"चैत्रमासे जगत् व्रह्मा संसर्ज प्रथमेऽहनि, शुक्ल पक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदय सति।"
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण के लिए इसी दिन को चुना था। लगभग एक अरब 97 करोड़ 39 लाख वर्ष पूर्व इसी दिन संसार की रचना हुई थी और इसी दिन जल प्रलय के बाद, दुनिया में सबसे पहला सूर्योदय हुआ था इसलिए इसे * सृष्टि-दिवस * कहा जाता है।
यह एक अकाट्य सत्य है कि भारतीय
कालगणना में नक्षत्रों, ऋतुओं, मासों, दिवसों आदि का निर्धारण, हमारे ऋषियों द्वारा या यूं कहें कि ब्रह्मा (परम तत्व को जानने वाले) नें पूरी तरह निसर्ग अथवा प्रकृति पर आधारित वैज्ञानिक रूप से किया गया है। दिवसों के नामकरण को प्राप्त विश्वव्यापी मान्यता इसी तथ्य का प्रतीक है।(सोम>moonday/monday आदि)
आधुनिक समय में सम्पूर्ण विश्व में प्रचलित ग्रेगेरियन कैलेण्डर के अनुसार नववर्ष मनाया जाता है! परंतु ....
भारतीय नववर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के सूर्योदय से प्रारंभ होता है।भारतीय परंपरा में मानवीय सृष्टि की रचना तथा कालगणना का पूरा उपक्रम निसर्ग अथवा प्रकृति से तादात्म्य रखकर किया है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस के सूर्योदय से कालगणना में नववर्ष का औचित्य इस तथ्य में निहित है कि शिशिर ऋतु की समाप्ति पर सूर्य के धरा पर प्रकाश के आविर्भाव के साथ-साथ जीवनदायिनी ऊर्जा शक्ति के प्रभाव से पृथ्वी तल पर जीव-जगत का जीवन नई ऊर्जा से भर उठता है और हर प्रकार की सृष्टि ; वनस्पति जगत, कीट, पशु-पक्षी, जलचर,नभचर, स्थलचर नव-सृजन की अनुपमेय शक्ति से सृष्टि को सौदर्य से भरपूर सरसता प्रदान करते हैं ।
वसंत ऋतु प्रकृति के यौवन और श्रृंगार की ऋतु है। वृक्षों पर नए पुष्पों व पल्लवों की अद्वितीय छटा रहती हैं। चारों तरफ़ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। किसानों को अपनी मेहनत का फल मिलता है - इसी समय फसलों की कटाई होती है । मौसम भी बहुत सुखद और संतुलित रहता है - न बहुत गर्म और न ही बहुत ठंड रहती है।
नववर्ष के हर्षोल्लास को प्रकट करने के लिए, प्रकृति बहुत ही सुंदर और सकारात्मक वातावरण निर्मित करती है!!
आज के दिन प्रारंभ होने वाले ; वर्तमान में भारतीय नववर्ष, विक्रमी संवत २०७७ , उगादी (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक), गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र , गोवा और कोंकण क्षेत्र) , सजीबू नोंग्मा पनबा या चैरोबा( मणिपुर),थापना (राजस्थान, मारवाड़ क्षेत्र), चेती चाँद (सिंधी क्षेत्र), एवं 'सप्तऋषि संवत' ५०९६ के नवरेह (जम्मू-कश्मीर) की हार्दिक शुभकामनाएँ।
प्रकृति के नव-सृजन को, सृष्टि के नव-निर्माण को...
नव-पल्लवों की कोमल हथेलियों पर रचकर,
अमराईयों में कूकती कोयल की तान में बसकर....
नव-उल्लास, नव-आशा, नव-जागरण की पावन ज्योति
जगत के कण-कण में जगाने वाले *****!!!
☀️भारतीय-नववर्ष का हार्दिक अभिनन्दन!
नव-पल्लवों की कोमल हथेलियों पर रचकर,
अमराईयों में कूकती कोयल की तान में बसकर....
नव-उल्लास, नव-आशा, नव-जागरण की पावन ज्योति
जगत के कण-कण में जगाने वाले *****!!!
☀️भारतीय-नववर्ष का हार्दिक अभिनन्दन!
इस समय यह नववर्ष कोविड-१९ की वैश्विक आपदा को दूर करने की दिशा में विश्व को नई राह दिखाने का पावन प्रकाश लाए
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