28 जनवरी 1865 में जन्मे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल- बाल- पाल में से एक थे।
सन् 1904 में ‘द पंजाब’ नाम का अंग्रेजी अखबार उन्होंने शुरु किया था।
सन् 1905 में काँग्रेस की और भारत की बात रखने के लिये लालाजी को इंग्लैंड भेजा गया| उसके लिये उनको जो पैसा दिया गया उसका आधा पैसा उन्होंने दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज' (डी.ए.वी. कॉलेज)की स्थापना और आधा अनाथ विद्यार्थियों की शिक्षा के लिये दे दिया। इंग्लैंड जाने का उनका खर्च उन्होंने स्वयं ही किया था।
सन् 1907 में अंग्रेज़ी सरकार नें, लाला लाजपत रॉय जी को किसानो को भड़काने व सरकार का विरोध करने के आरोप में गिरफ्तार कर उन्हें मांडले के जेल में भेज दिया। 6 महीनों बाद उनको छोड़ा गया। अपने पीछे पड़ी हुई सरकार से पीछा छुड़ाने के लिये वेअमेरिका चले गये।
वहा के भारतीयों में देश प्रेम जगाया और स्वतंत्रता की राह दिखाई। अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में अक्टूबर, 1917 में 'इंडियन होमरूल लीग ऑफ़ अमेरिका' नाम से एक संगठन की स्थापना की थी। 20 फ़रवरी, 1920 को जब वे भारत लौटे। 1920 में वो अपने देश भारत लौटे। 1920 में कोलकाता में हुये कॉग्रेस के विशेष अधिवेशन में उन्हें अध्यक्ष चुना गया था। उन्होंने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए।
सन् 1925 में कोलकाता में ‘अखिल भारत हिन्दू महासभा’ के अध्यक्ष लालाजी बने थे।
सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्तत: १७ नवम्बर सन् १९२८ को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी।
इन्होंने पंजाब में, "पंजाब नैशनल बैंक" और "लक्ष्मी बीमा कम्पनी" की भी स्थापना की।
लाला जी ने हिंदी में शिवाजी, श्री कृष्ण और कई महापुरुषों की जीवनियाँ लिखने के साथ-साथ - 'पंजाब केसरी', 'यंग इंण्डिया', 'भारत का इंग्लैंड पर ऋण', 'भारत के लिए आत्मनिर्णय', 'तरुण भारत’ भी लिखी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें