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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी को श्रद्धाँजलि

”स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।” का उद्घोष करने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की सौवीं पुण्यतिथि पर उनके कुछ विचारों को सामने रखना मैं समीचीन मानती हूं। 
”प्रगति स्वतंत्रता में निहित है। बिना स्वशासन के न औद्योगिक विकास संभव है, न ही राष्ट्र के लिए शैक्षिक योजनाओं की कोई उपयोगिता है। देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न करना सामाजिक सुधारों से अधिक महत्वपूर्ण है।” का संदेश देने वाले  
लोकमान्य तिलक जी की रचनाएं :----
द ओरिओन', द आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज (१९०३),श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य (माण्डले जेल में),The Hindu philosophy of life, ethics and religion (१८८७ में प्रकाशित).
Vedic Chronology & Vedang Jyotish (वेदों का काल और वेदांग ज्योतिष),टिळक पंचांग पद्धती (इसका कुछ स्थानों पर उपयोग होता है, विशेषतः कोकण, पश्चिम महाराष्ट्र आदि)सर्वत्र प्रशंसनीय हैं। 
हमें उनकी श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य नें अत्यंत प्रभावित किया। तिलकजी ने गीता-रहस्य का लेखन इसलिए किया क्योंकि वे उस समय फैलाई जा रही जनधारणा के विरुद्ध यह मानते थे कि गीता जैसा ग्रन्थ केवल मोक्ष की ओर ले जाने , केवल संसार छोड़ देने का संदेश नहीं देती वह तो कर्म को केंद्र में रख कर कर्मठ बनने की प्रेरणा देती है। 
गीतारहस्य नामक पुस्तक की रचना लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने माण्डले जेल (बर्मा) में की थी। इसमें उन्होने श्रीमदभगवद्गीता के कर्मयोग की वृहद व्याख्या की। उन्होंने इस ग्रन्थ के माध्यम से बताया कि गीता का चिंतन उन लोगों के लिए नहीं है जो स्वार्थपूर्ण सांसारिक जीवन बिताने के बाद,अवकाश के समय खाली बैठ कर पुस्तक पढ़ने लगते हैं। गीता रहस्य में यह दार्शनिकता निहित है कि हमें मुक्ति की ओर दृष्टि रखते हुए सांसारिक कर्तव्य कैसे करने चाहिए। इस ग्रंथ में उन्होंने मनुष्य को उसके समसामयिक जगत में शाश्वत कर्तव्यों का बोध कराया है। 
गांधीजी, जो भगवद्गीता के प्रशंसक थे,उसे अपनी माता मानते थे।उन्होंने भी "गीतारहस्य" को पढ़ कर कहा था कि गीता पर तिलकजी की यह टीका ही उनका शाश्वत स्मारक है।
एक ओर "गीतारहस्य" लिखना और दूसरी ओर "गणपति बप्पा" के उत्सव को सार्वजनिक तौर पर मनाने की शुरुआत करना - हमारे दृष्टिकोण में लोकमान्य तिलक जी की राष्ट्रभक्ति के साथ - साथ भारतीय संस्कृति के प्रति संरक्षण - संवर्द्धन भाव  और जागरूकता को दर्शाते हैं।
श्रद्धाँजलि व कोटि-कोटि नमन है युग-चेतना को जगाने वाले क्रांतिकारी लोकमान्य तिलक जी की पुण्यतिथि पर 🙏🌷🌷🌷🌷

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