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मंगलवार, 4 अगस्त 2020

अयोध्या : रामजन्मभूमि शिलान्यास


अथर्ववेद में अयोध्या का उल्लेख करते हुए कहा गया है- "अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या। तस्यां हिरण्मयः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः॥" (अथर्ववेद -१०/२/३१)इसकी संपन्नता की तुलना देवताओं की नगरी स्वर्ग से की गई है। अथर्ववेद में, यौगिक प्रतीक "अष्टचक्रा नवद्वारा" आठ चक्र और नौंं द्वारों से सज्जित अयोध्या का उल्लेख है। 
स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु है तथा 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है।
महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण के बालकांड के पंचम सर्ग में अयोध्या का सुंदर वर्णन  किया गया है। वाल्मीकि रामायण में महर्षि का कथन है कि
कौशल नाम से प्रसिद्ध एक बहुत बड़ा जनपद है जो सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है वह प्रचुर धन-धान्य से संपन्न सुखी और समृद्धिशाली है
अयोध्या नाम नगरी तत्रासील्लोकविश्रुता।
मनुना मानवेंद्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम् ।।६।
कौशल जनपद में अयोध्या नाम की समस्त लोगों में विख्यात एक नगरी है पूरी को महाराज मनु ने बनवाया और बसाया था। जो १२ योजन अर्थात लगभग १४४ कि.मी लंबी और ३ योजन अर्थात लगभग ३६ कि.मी.चौड़ी थी।इस सुव्यवस्थित वृक्षों, नाट्यगृहों से सुसज्जित नगर के भवन के विशद वर्णन करते हुए महर्षि नें लिखा है , 
"प्रसादै रत्नविकृतैः पर्वतैरिव शोभिताम।१५।सर्वरत्न समाकीर्णो विमानगृह शोभिताम्।१६।
वहां के महलों का निर्माण नाना प्रकार के रत्नों से हुआ था वहाँ के गगनचुंबी प्रासाद पर्वतों के समान जान पड़ते थे। अयोध्या सब प्रकार के रत्नों से भरी पूरी समृद्ध, सात मंजिले प्रसादों से सुशोभित थी। 
दीर्घकाल तक यह नगर भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी सूर्यवंंशी राजाओं की राजधानी रहा। अयोध्या मूल रूप से हिंदू मंदिरो का स्थान है। यहां आज भी हिंदू धर्म से जुड़ेअनगिनत अवशेष  देखे जा सकते हैं। 
जैन मतानुसार यहां चौबीस तीर्थंकरों में से पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। जैन और वैदिक दोनों मतो के अनुसार भगवान श्रीरामचन्द्र जी का जन्म इसी भूमि पर हुआ था। उक्त सभी तीर्थंकर और भगवान रामचंद्र जी सभी इक्ष्वाकु वंश के थे।
बौद्ध मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्धदेव ने अयोध्या (साकेत) में १६ वर्षों तक निवास किया था।
 इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में तो मिलता ही है वर्तमान युग में भी इसके प्रमाण भारत से बाहर के देशों में हैं।हमनें देखा है कि सन् २०१८ में श्रीरामजी की नगरी अयोध्या में तीन दिवसीय दीपोत्सव का भव्य श्रीगणेश हो गया था। सरयू नदी पर लेज़र शो का आयोजन हुआ। सरयू घाट और राम की पैड़ी को दुल्हन की तरह सजाया गया। देश की सबसे बड़ी दीपावली अयोध्या में मनाई गई। पिछले वर्ष राम की पौड़ी रंगीन प्रकाश में नहाई हुई थी।उसकी सीढ़ियों पर करीब पौने दो लाख दीपक जलाए गये थे। इस बार तीन लाख से ज्यादा दीए जलाए गए क्योंकि दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जुंग सूक इस उत्सव में शामिल हुई थीं जो अपने अयोध्या संबंध पर गौरवान्वित हैं।
हम यहां यह बताना चाहते हैं कि चीनी भाषा की कुछ प्राचीन पुस्तकों में यह उल्लेख मिलता है कि दक्षिण कोरिया से भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या का गहरा भावनात्मक संबंध है।आज से लगभग दो हज़ार वर्ष पहले दक्षिण कोरिया के राजकुमार की शादी अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्न से हुई थी। अयोध्या के राजा को स्वप्न में ईश्वर ने आदेश दिया कि वे अपनी राजकुमारी को दक्षिण कोरिया भेजें। ताकि दक्षिण कोरिया के नगर गिमहेई के राजा किम सूरो से उनकी शादी हो सके। वहां के नरेश किम सूरो से विवाह के बाद उन्हें हिव ह्वांग ओक के नाम से जाना गया। राजकुमार और राजकुमारी के इस विवाह के कई प्रमाण आज भी दक्षिण कोरिया में मौजूद हैं। राजकुमारी सूरीरत्न अयोध्या की थीं  ४८ वीं ईस्वी में कोरिया गई थीं। तब उन्होंने एक स्थानीय राजा से शादी की और "कराक" राजवंश की स्थापना की थी। इसका उल्लेख है कि राजा किम सूरो और उनकी पत्नी सूरीरत्न के दस बेटे हुए। वर्तमान में राजा किम सूरो को ही कराक वंश अपना पूर्वज मानती है। इस वंश के लोगों की आबादी करीब ६० लाख है। यह दक्षिण कोरिया की कुल आबादी का दस प्रतिशत है। इतिहासकारों का मानना है कि अयुता और अयोध्या एक ही नाम हैं। इसी वजह से कोरियाई सरकार अपनी रानी की याद में अयोध्या में एक स्मारक बनवाने के लिए में अयोध्या में सरयू नदी के पश्चिमी तट पर महारानी हिव ह्वांग ओक के स्मारक का शिलान्यास किया गया । 
आज ५ अगस्त २०'२० के ऐतिहासिक दिन,  सप्तपुरियों में प्रमुख अयोध्या में, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी के द्वारा श्रीराम जन्मभूमि के शिलान्यास की पावनता सारी सृष्टि में, समस्त प्राणिजगत में शुभता, 
समरसता और आनंद का प्रसार करे यही शुभेच्छा है !! 



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