🌦️🌧️🌧️🌧️🌧️🌧️⛈️
आषाढ़ के मेघों भरे आकाश तले,
वेणुध्वनि से लरजते देवदारों की सुवास !
ले आई है हमें फिर से गुनगुनाती सी
खिली-खिली स्मृतियों के पास !! 🙏
समसामयिक परिवेश में जो कुछ घटता है वो कभी लावे की तरह तो कभी बर्फ की तरह पिघल कर मेरी क़लम से अक्षरों में बदलता जाता है | अक्षरों की ये आँच, ये ठँडक उन सब तक पहुँचे जो अपनी बात *अपनी भाषा में कहने में झिझकते नहीं हैं !!!!
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