जाड़ों का मौसम

जाड़ों का मौसम
मनभावन सुबह

लोकप्रिय पोस्ट

लोकप्रिय पोस्ट

Translate

लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, 20 जुलाई 2025

गढ़मुक्तेश्वर : मुक्ति की विरासत सहेजे पावन धाम !!

🔱काशी से लौटते हुए गढ़ गंगा जी के दर्शन हुए तो शिवपुराण में वर्णित, गंगाजी के तट पर बसे विश्वेश्वर के प्रिय धाम गढ़मुक्तेश्वर को, रेलगाड़ी से ही नमन किया। पुराणों में *शिव वल्लभ * नाम से वर्णित इस पावन तीर्थ की महिमा काशी से भी अधिक मानी गई है - - - -  
"काश्यां मरणात्मुक्ति: मुक्ति: मुक्तीश्वर दर्शनात्।।" 
भागवत पुराण और महाभारत के अनुसार यह क्षेत्र कुरु की राजधानी का भाग था।
शिवपुराण के अनुसार - " गणानां मुक्तिदानेन गणमुक्तिश्वरः स्मृतः" इससे जुड़ी कथा के अनुसार - - - - एक बार मंदराचल पर्वत की गुफा में ब्रह्मर्षि दुर्वासा तपस्या में निमग्न थे। भगवान शंकर के गण  घूमते हुए वहां पहुंचे। गणों नें तपस्यारत ब्रह्मर्षि का उपहास किया। ऋषि से पिशाच होने का श्राप मिला तो शिवगण चरणों में गिर पड़े। उनका अपराध क्षमा कर दुर्वासा ऋषि नें हस्तिनापुर के समीप खांडव वन में स्थित शिववल्लभ क्षेत्र में तपस्या कर भगवान आशुतोष की कृपा प्राप्त कर पिशाच योनि से मुक्ति का उपाय बताया।  पिशाच बने शिवगणों ने शिववल्लभ क्षेत्र में आकर कार्तिक पूर्णिमा तक तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन उन्हें दर्शन दिएऔर पिशाच योनि से मुक्त कर दिया। तब से शिववल्लभ क्षेत्र का नाम 'गणमुक्तिश्वर' पड़ गया। बाद में 'गणमुक्तिश्वर' का अपभ्रंश 'गढ़मुक्तेश्वर' हो गया। गणमुक्तिश्वर का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर आज भी इस कथा का साक्षी है। 
मान्यता है कि 'मुक्तिश्वर महादेव' के सामने पितरों को पिंडदान और तर्पण करने से गया श्राद्ध करने कीआवश्यकता नहीं रहती। पांडवों ने महाभारत के युद्ध में मारे गये असंख्य वीरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान यहीं मुक्तिश्वरनाथ के मंदिर के परिसर में किया था। यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को पितरों की शांति के लिए दीपदान करने की परम्परा भी रही है। पांडवों ने भी अपने पितरों की शांति के लिए मंदिर के समीप गंगा में दीपदान किया था तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक यज्ञ किया था। तभी से यहां कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगना प्रारंभ हुआ। कार्तिक पूर्णिमा को भारत के अनेक नगरों में मेलों का आयोजन होता है किन्तु गढ़मुक्तेश्वर का मेला उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला माना जाता है।
जिसके दर्शन मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है उस स्थान की ऊर्जा सर्वत्र सकारात्मक्ता लाए और शिव का प्रिय श्रावण मंगलमय हो।।🙏🌷🌷🌷🌷स्वर्ण अनिल ।

कोई टिप्पणी नहीं: