जाड़ों का मौसम

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शनिवार, 24 जनवरी 2009

देवगीत २४जनवरी२००९

मेरे देव,
मैं तुम्हारा ही गीत हू़
तन की इस वंशी सॆ उभरतॆ हर स्वर मॆं
तुम्हारे दिए साँसों का संगीत है
तुम्हारी शीतल छाया
मुझॆ हर आँधी,हर आघात सॆ
यूं सहॆज लॆती है --
जैसे -- मॉ अपने बच्चे को
हर अच्छी बुरी नज़र से बचाने के लिए
उसे अपनी ममता के आँचल में छिपाने के बाद भी,
आशंका से काँप कर- - -
अपने लाडले के चेहरे की हर रेखा को चूमकर
उसकी हर आपदा- - -हर बला को
- - - - - - अपने सर ले लेती है ।

2 टिप्‍पणियां:

Ashutosh ने कहा…

an intensely soulful expression of thought and reality being beautifully fused together in a dream like state of trance...Bravo to the poetess

Anil Kumar Dubey ने कहा…

I have gone through your Blog and wish you to be number one in this world. I personally wish that your thoughts should reach every corner of this world. I wish you success in life. DEV