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शुक्रवार, 13 मार्च 2009

ये रिश्ता १३ मार्च २००९

हमारे तुम्हारे बीच
कुछ ऐसा है
जो प्यार के रंगों ,अपने पन के फूलों के कोमल पराग से
आँकी गयी रंगोली के बीच
मंदिर के दीप सा निरंतर प्रकाशित है
बचपन की निश्छल उल्लास भरी आँखों सा ,
मित्रता के अडिग अटूट विश्वास सा ,
सुहागन की माँग के सिन्दूर सा ,
---पवित्र अलोक भरा दमकता सा
ये सम्बन्ध ------
तुमको-हमारे लिए
कितने नातों में बदलता है
काभी शिशु , कभी सखा , कभी गुरु ,कभी पूज्य ,कभी पूजक
सच कहो ---तुम्हरे -हमारे बीच ये क्या है ?
समाज का दिया कोई एक संबोधन
क्या कभी इसे परिभाषित कर सकता है !
ये रिश्ता जो हमारे-तुम्हारे बीच है

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

aapke bhav jivan ke sach ko paribhashit karte he.aaj ki bhagdod me shanti dete he.hamare liye likhte rahiyega. madhur nagpal / pune

Swastik ने कहा…

Bahut Hee umdaa likhaa hai swarn jee aapne. Yoon hee likhtee rahiye