कल अपने कुछ आत्मीय लोगों के साथ बातचीत के बीच, चर्चाओं के विभिन्न संदर्भों में चर्चा के एक छोर पर ठहरे ,तो हमें याद आया कि आज “जानकी नवमी“ है । जनक दुलारी सीता का ज़िक्र आते ही ‘ जैसे हर सफल पुरुष के पीछे एक नारी होती है वैसे ही हर सफल नारी के पीछे एक पुरुष होता है ‘ के कई उदाहरण हमनें व्यक्तिगत और समाज के जीवन से खोजने शुरू कर दिए । हरि अनंत हरि कथा अनंता की तरह किसकी सफलता के पीछे कौन ? ये बातचीत भी एक सुखद अंत पर आ गयी क्योंकि हम सब के निजी अनुभव उसकी कसौटी थे परंतु - - - भारतीय नारी के संदर्भ में ये सत्य आज भी अधिकांशत: खरा नहीं उतरता ये हम जानते हैं ।जानकी-नवमी का दिन है इसलिए जन- जन के प्रिय सीता-राम को, प्रतीक के मानकर नारी और पुरुष के मध्य की इस दूरी को पाटनें की कोशिश कर रही हूँ मेरे भावों–विचारों को प्रबुद्ध पाठकों नें जिस खुले हृदय से पढ़ा उसी नें मुझे इस कविता को यहाँ लिखने का साहस दिया है।
********* धरती की बेटी *********
कोई कब तक पी सकता है ,
बेवजह – अपमान का विष ?
उस तीखी जलन को सहने की भी एक सीमा होती है ,
सीमा-रेखा पार होते ही - - -
धरती की बेटी ‘सीता’ का धैर्य भी चुक जाता है।
और - - - याद रखना - - -
फिर –‘राम’ का सारा प्रायश्चित्त सारा समर्पण , सारा स्वीकार भी-
सीता के हृदय से अपमान के उस गहरे दंश को नहीं निकाल पाता ।
फिर सम्बन्धों की सारी शक्ति
नेह की करुण पुकारें - - -
रोक नहीं पाती – सीता को धरती में समाने से |
परीक्षित सीता को – ! ! ! !
हृदय की समग्रता से निष्कलंक साबित करने पर भी ;
राम का अपराध-बोध मृत्युपर्यंत पीछा नहीं छोड़ता |
इसीलिए कहती हूँ - -
अपमान उस सीमा तक मत करो कि - -
एक को निरंतर परीक्षित होने की ग्लानि मार दे
और दूसरे को - -अपराध-बोध जीने ना दे ।
*********
समसामयिक परिवेश में जो कुछ घटता है वो कभी लावे की तरह तो कभी बर्फ की तरह पिघल कर मेरी क़लम से अक्षरों में बदलता जाता है | अक्षरों की ये आँच, ये ठँडक उन सब तक पहुँचे जो अपनी बात *अपनी भाषा में कहने में झिझकते नहीं हैं !!!!
लोकप्रिय पोस्ट
-
दिन - सिर्फ़ दिन होता है ,चाँद सूरज मुस्कुराए ना मुस्कुराए , वो दिन - सबसे रौशन होता है जो तेरे नाम से जगमगाए । फूल - सिर्फ़ फूल होता ह...
-
बहुजन-हिताय और बहुजन–सुखाय के आदर्श को चरितार्थ करते रामराज्य को ,जीवन के सत्य और सौंदर्य को लोककल्याण के शिव-तत्व से परिपुष्ट कर , जन-ज...
-
भारतीय परम्परा सदा से इस बात में विश्वास करती आई है कि सन्तान को अच्छे गुण माँ घुट्टी में पिला देती है। बच्चे की पहली गुरू माँ ही होती है ...
-
गुवाहाटी में २९ से ३१ दिसम्बर से चलने वाले बाल-कला -संगम के कार्यक्रम को देखकर लौटते समय मेरे ज़हन में बार- बार आज के दौर ...
-
देशहित में दी शहादतों को निजी स्वार्थों से जोड़ती भीड़ को लाँघ , निरुत्तरित सवालोँ की बाड़ के उस पार पहुँची हूँ मैं – - उस गाँव , ...
-
देवभूमि किन्नौर का प्रवेश-द्वार हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हूँ इसलिए दृढ़तापूर्वक कहती हूॅं कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर अंचल की ...
-
आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात देवशयनी एकादशी है ।कहा जाता है की इस दिन नारायन अपने वैकुण्ठ धाम में नहीं क्षीर-सागर में शेषना...
-
12 जून 2008 -वेनकुवर ; केनेडा की धरती पर यही तारीख़ थी परन्तु भारत में तेरह जून थी इसीलिए उस समय जब मैनें अपने देश से कई समन्दरों की दू...
-
माघी पूर्णिमा से पहले पूरे भारतवर्ष में माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना का पवित्र पर्व उल्लास और श्रद्धापूर्वक मना...
-
दिल्ली की आग बरसाती जेठ की दोपहरी; मायके की यादों के करीब ले आती हैं |हिमाचल प्रदेश के कोटगढ़ का गाँव दलान...
लोकप्रिय पोस्ट
-
दिन - सिर्फ़ दिन होता है ,चाँद सूरज मुस्कुराए ना मुस्कुराए , वो दिन - सबसे रौशन होता है जो तेरे नाम से जगमगाए । फूल - सिर्फ़ फूल होता ह...
-
बहुजन-हिताय और बहुजन–सुखाय के आदर्श को चरितार्थ करते रामराज्य को ,जीवन के सत्य और सौंदर्य को लोककल्याण के शिव-तत्व से परिपुष्ट कर , जन-ज...
-
भारतीय परम्परा सदा से इस बात में विश्वास करती आई है कि सन्तान को अच्छे गुण माँ घुट्टी में पिला देती है। बच्चे की पहली गुरू माँ ही होती है ...
-
गुवाहाटी में २९ से ३१ दिसम्बर से चलने वाले बाल-कला -संगम के कार्यक्रम को देखकर लौटते समय मेरे ज़हन में बार- बार आज के दौर ...
-
देशहित में दी शहादतों को निजी स्वार्थों से जोड़ती भीड़ को लाँघ , निरुत्तरित सवालोँ की बाड़ के उस पार पहुँची हूँ मैं – - उस गाँव , ...
-
देवभूमि किन्नौर का प्रवेश-द्वार हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हूँ इसलिए दृढ़तापूर्वक कहती हूॅं कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर अंचल की ...
-
आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात देवशयनी एकादशी है ।कहा जाता है की इस दिन नारायन अपने वैकुण्ठ धाम में नहीं क्षीर-सागर में शेषना...
-
12 जून 2008 -वेनकुवर ; केनेडा की धरती पर यही तारीख़ थी परन्तु भारत में तेरह जून थी इसीलिए उस समय जब मैनें अपने देश से कई समन्दरों की दू...
-
माघी पूर्णिमा से पहले पूरे भारतवर्ष में माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना का पवित्र पर्व उल्लास और श्रद्धापूर्वक मना...
-
दिल्ली की आग बरसाती जेठ की दोपहरी; मायके की यादों के करीब ले आती हैं |हिमाचल प्रदेश के कोटगढ़ का गाँव दलान...
Translate
लोकप्रिय पोस्ट
-
दिन - सिर्फ़ दिन होता है ,चाँद सूरज मुस्कुराए ना मुस्कुराए , वो दिन - सबसे रौशन होता है जो तेरे नाम से जगमगाए । फूल - सिर्फ़ फूल होता ह...
-
बहुजन-हिताय और बहुजन–सुखाय के आदर्श को चरितार्थ करते रामराज्य को ,जीवन के सत्य और सौंदर्य को लोककल्याण के शिव-तत्व से परिपुष्ट कर , जन-ज...
-
भारतीय परम्परा सदा से इस बात में विश्वास करती आई है कि सन्तान को अच्छे गुण माँ घुट्टी में पिला देती है। बच्चे की पहली गुरू माँ ही होती है ...
-
गुवाहाटी में २९ से ३१ दिसम्बर से चलने वाले बाल-कला -संगम के कार्यक्रम को देखकर लौटते समय मेरे ज़हन में बार- बार आज के दौर ...
-
देशहित में दी शहादतों को निजी स्वार्थों से जोड़ती भीड़ को लाँघ , निरुत्तरित सवालोँ की बाड़ के उस पार पहुँची हूँ मैं – - उस गाँव , ...
-
देवभूमि किन्नौर का प्रवेश-द्वार हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हूँ इसलिए दृढ़तापूर्वक कहती हूॅं कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर अंचल की ...
-
आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात देवशयनी एकादशी है ।कहा जाता है की इस दिन नारायन अपने वैकुण्ठ धाम में नहीं क्षीर-सागर में शेषना...
-
12 जून 2008 -वेनकुवर ; केनेडा की धरती पर यही तारीख़ थी परन्तु भारत में तेरह जून थी इसीलिए उस समय जब मैनें अपने देश से कई समन्दरों की दू...
-
माघी पूर्णिमा से पहले पूरे भारतवर्ष में माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना का पवित्र पर्व उल्लास और श्रद्धापूर्वक मना...
-
दिल्ली की आग बरसाती जेठ की दोपहरी; मायके की यादों के करीब ले आती हैं |हिमाचल प्रदेश के कोटगढ़ का गाँव दलान...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें