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सोमवार, 4 जुलाई 2011

सकारात्मक सोच का नाम सुखसोहित सिंह

१५ जून ११ के समाचार-पत्र में छपा "थैलासीमिया मेजर के अनुवांशिक (जेनेटिक)विकार युक्त २५ वर्षीय सुखसोहित सिंह नें, भारतीय प्रशासकीय सेवा परीक्षा २००८ में अखिल भारतीय स्तर पर ४२वां स्थान प्राप्त किया है परन्तु  इस जेनेटिक विकार के कारण सुखसोहित सिंह  को प्रशासकीय सेवा में प्रवेश नही दिया गया |" जिसकी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धी विश्व के लगभग दो करोड़ थैलासीमिया विकार से जूझते लोगों में एक नई आशा ,नया उत्साह भर गई- - उसे अपना उचित अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा ! ये बात कष्ट देती है | माननीय प्रधान मंत्री द्वारा अधिकारियों को दी गई सहानुभूतिपूर्ण रवैये की सलाह कब तक कार्य रूप में बदलेगी ? यह  प्रतीक्षा ; आनुवंशिक विकार थैलासीमिया मेजर के शारीरिक कष्टों पर विजय पाने वाले हमारे सुखसोहित के आत्मविश्वास को कहाँ ले जाएगी ? मेरा ये प्रश्न उन सबसे है जो थैलासीमिया को जानते हैं और अगर नहीं भी जानते तो इस विकार को समझ कर हमारा साथ दें ताकि जीवन को भरपूर जीने का अधिकार  किसी भी थैलासीमिक को मांगना ना पड़े वरन इनके जीवट को ,जीने की अदम्य इच्छा को हम सबका सलाम पहुँचे |
साधारण शब्दों में कहें तो लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़े इस विकार को भूमध्य सागरीय रक्ताल्पता (mediterranean anaemia) कहा जाता है |ग्रीक भाषा में  समुद्र को थैलासा कहा जाता है अत: थैलासा+एनीमिया ही थैलासीमिया कहलाया (विस्तृत जानकारी हेतु - www . thalassemiaindia .org ) इस वंशानुगत रक्त विकृति में लाल रक्त कणों में विद्यमान हीमोग्लोबिन उचित मात्रा में नही बनता |लाल रक्त कणों का १२० दिन चलने वाला जीवन चक्र कुछ ही दिन चल पाता है |इस कमी को पूरा करने के लिए अस्थि-मज्जा (bone marrow) अधिक कार्य करने लगती है अत:वो आवश्यकता से अधिक बड़ी हो जाती है जिससे कई एनी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं |प्लीहा व् यकृत का आकार भी बड़ा हो जाता है | हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं ,उनकी बनावट में विकार कई संभावना बढ़ जाती है तथा  उनके टूटने कई संभावनाए भी बढ़ जाती हैं |शारीरिक मानसिक वृद्धि में अवरोध उत्पन्न होता है | इस विकार का सम्बन्ध ना किसी प्रकार के संक्रमण से है ना ही किसी बुरी आदत से- परन्तु इस आनुवांशिक  विकार पर होने वाले चिकित्सकीय खर्चे इतने अधिक हैं कि उनको वहन करना एक चुनौती है | सारी  कठिन परिस्थितियों से निरंतर जूझकर सुखसोहित सिंह ने जिस सकारात्मक सोच का उदाहरण दिया है  उसके बदले में सामाजिक स्तर पर मिलने वाली उपेक्षा क्या उचित है ?    

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