सन १९६२ में हमारे शांतिप्रिय भारत पर-पंचशील के सिद्धांतों का पालन करने वाले भारत पर ,अचानक हमला हो गया । हमला करने वाला कोई और नहीं वो देश था जिसके प्रधान-मंत्री के स्वागत के दृश्य अब भी हमारी यादों में ताज़ा हैं क्योंकि सफ़ेद फ्रिल वाली फ्रॉक पहन कर भारत -चीन के झंडे हिला -हिला कर "हिन्दी -चीनी भाई -भाई " के नारे लगाने का रोमाँच ६ वर्षीय बच्चे के लिए कितना अद्वितीय था इसका अनुमान कोई भी सहजता से लगा सकता है।सन १९६० में हमारे देश ने जिस चीन के प्रधान-मंत्री श्री चाऊ एन लाई का स्वागत एक प्यारे दोस्त की तरह पूरी गर्मजोशी से किया था, उसी पड़ोसी नें भाई कह कर भाई की पीठ में छुरा भोंक दिया । हमारे पूर्वोत्तर के प्रदेश -जो १९६२ में नेफा कहलाता था ; उसकी सीमाओं पर तैनात सैनिकों पर अकारण ही आग उगलती मशीनगनों से धावा बोल दिया। इस अप्रत्याशित हमले से हैरान देश के राजनेता जब तक जवाबी कार्यवाही का आदेश देते भारत के वीर जवान (अपने शस्त्र-बल से कम, आत्मबल से अधिक ) देश की सुरक्षा के लिए जान हथेली पर लेकर सशस्त्र चीनी सेना से लोहा ले रही थी।वर्षों की पूरी तैयारी के बाद लड़ने आई शत्रु-सेना को भारतीय -सेना नें मुँहतोड़ जवाब दिया था। युद्ध में हमारे ३०१५ जवान वीरगति को प्राप्त हुए।भारतीय जन-मानस को तथाकथित 'भाई ' के विश्वासघात नें बुरी तरह झकझोर कर रख दिया था।
सीमा पर वीर सैनिकों की कुर्बानियों को,अपनों के घर लौट कर ना आने की व्यथा को ; इधर मुंबई में कवि प्रदीप नें अपने गीत, " ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी " के बोलों में उजागर किया ,सी रामचन्द्र नें संगीतबद्ध किया और भारत-कोकिला सुश्री लतामंगेशकर जी नें सुरों में ढाला - तो उधर नेफा के (नेफा, २० जनवरी १९७२में अरुणाचल-प्रदेश बना - केंद्रशासित राज्य -२० फरवरी १९८७ में पूर्ण राज्य बना ) बोमडिला में, जिनके बारे में सुश्री लताजी ने कहा," हम असम को भूपेन हज़ारिका के नाम से जानते हैं।" वे असमिया सुर-सम्राट श्री भूपेन हज़ारिका जी भीगे नयनों और भीगे मन से ," कतो जोबनार मृत्यु होल - - - " के बोलों को रच कर अपनी मर्मस्पर्शी वाणी में वीरों को श्रद्धांजलि दे रहे थे ।
देश के अमर शहीदों को समर्पित इन दोनों गीतों कि पचासवीं वर्षगाँठ को भावभीनी श्रद्धाँजलि है ---
। । सरहद को स्वरांजलि । ।
--इस आयोजन में अपनी सक्रिय भूमिका को लेकर हमारे उत्साह को हमारे स्वास्थ्य संबंधी समस्या ने समाप्त कर दिया नहीं तो आज हम दिल्ली की जगह ईटानगर में शहीदों के परिवार-जनों और पूर्वोत्तर के सात बहनों और एक भाई (असम ,मेघालय,मणिपुर ,नागालैंड,अरुणांचल,मिज़ोराम ,त्रिपुरा और सिक्किम ) वाले अपने परिवार के साथ।
**********राष्ट्र -प्रेम ,कला -सँस्कृति एवं अपने अमर शहीदों की पावन स्मृतियों को समर्पित इस महान पर्व के लिए कोटिश मंगलकामनाएँ **********
** ******* नमन कोटि -कोटि नमन **** ** **
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