******* नव -वर्ष की मंगलकामनाएँ *******
वक्त आगे बढ़ता है तो पुराने कैलेंडर की तरह कितना कुछ घर की दीवारों से उतार कर फेंकने को बाध्य कर देता है । बीता हुआ वक़्त और व्यक्ति-- भविष्य को अपने होने का अहसास उन बातों से ही करवा सकता है जिनको आने वाले कल में लोग अपनाने को तैयार हों।एक परम्परा हमें चिरन्तन लगती है ---पूरे विश्व में एक जैसी लगती है -----संगीत की परम्परा !!
बोल किसी भी भाषा में हों ,सुर मीठे हों तो बस ….
मन झूम ही उठता है। ~ ~ ~ ~ ~ ~ इसीलिये सोचा
इस वर्ष ;सारे संसार के लिए नये सुर -ताल , नई धुन, नई बंदिशों ~*~*~*~*~ * की शुभकामनाएँ दी जायें !- - - - यूँ भी यह वर्ष १९४७ के कैलेंडर को दोहरा रहा है **** हमारी स्वतंत्रता की तरह कुछ अभूतपूर्व तो घटित होना ही चाहिए !!!!!!!!!!!!
वक्त आगे बढ़ता है तो पुराने कैलेंडर की तरह कितना कुछ घर की दीवारों से उतार कर फेंकने को बाध्य कर देता है । बीता हुआ वक़्त और व्यक्ति-- भविष्य को अपने होने का अहसास उन बातों से ही करवा सकता है जिनको आने वाले कल में लोग अपनाने को तैयार हों।एक परम्परा हमें चिरन्तन लगती है ---पूरे विश्व में एक जैसी लगती है -----संगीत की परम्परा !!
बोल किसी भी भाषा में हों ,सुर मीठे हों तो बस ….
मन झूम ही उठता है। ~ ~ ~ ~ ~ ~ इसीलिये सोचा
इस वर्ष ;सारे संसार के लिए नये सुर -ताल , नई धुन, नई बंदिशों ~*~*~*~*~ * की शुभकामनाएँ दी जायें !- - - - यूँ भी यह वर्ष १९४७ के कैलेंडर को दोहरा रहा है **** हमारी स्वतंत्रता की तरह कुछ अभूतपूर्व तो घटित होना ही चाहिए !!!!!!!!!!!!
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