जाड़ों का मौसम

जाड़ों का मौसम
मनभावन सुबह

लोकप्रिय पोस्ट

लोकप्रिय पोस्ट

Translate

लोकप्रिय पोस्ट

बुधवार, 4 दिसंबर 2019

एक उँगली की मज़बूत पकड़।

शिक्षक-दिवस, हर बार हममें नई शक्ति,नई स्फूर्ति और नया साहस भर देता है।अपने अतीत को देखते हैं तो प्रगति-पथ पर आगे बढ़ाने वाले कई गुरूजनों के चेहरे  सामने आ जाते.... वे व्यक्तित्व जिनके कारण '' शिक्षण '' हमारे जीवन का लक्ष्य बना - - - जीवनयापन के लिये व्यवसाय नहीं। हमारा शिक्षण, नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण को समर्पित रहा है इसलिए आज कुछ शिक्षको के,(भारतीय संस्कृति में गुरु के महत्वपूर्ण पद पर आसीन परंतु - - - -) मजबूरी में शिक्षक बने लोगों के, छात्रों के प्रति दुराचरण, शिक्षण के प्रति उदासीनता एवं छात्रों की असहज, असहाय स्थिति देखकर, मेरा आहत मन कवि शिरोमणि महाकवि तुलसीदास जी के इस दोहे को याद कर रहा है जो मेरी नज़र में स्वस्थ समाज के लिए आपेक्षित मार्गदर्शक है :------
" सचिव, बैद, गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।
 राज,  धर्म, तन  तीनि का होईहैं   बेगिहीं नास ।।
अर्थात: गोस्वामीजी कहते हैं कि मंत्री, वैद्य और गुरु —ये तीनों यदि भय या लाभ की आशा से, सच्ची बात न कहकर, प्रिय या मनभाता बोलते हैं, तो क्रमश: इन स्वार्थी लोगों से पोषित - राज्य,शरीर एवं धर्म - इन तीनों का शीघ्र ही नाश हो जाता है।
इसमें "शिक्षक" का दायित्व मैं सबसे महत्वपूर्ण मानती हूं क्योंकि राष्ट्र व समाज को अच्छे मंत्री, वैद्य व सर्वांगीण विकास से पुष्ट नई पीढ़ी का निर्माण करना उसके जीवन का सर्वोत्कृष्ट लक्ष्य होना आवश्यक है। मेरे विचार में,नए भारत के लक्ष्य के लिए समर्पित शिक्षक तैयार करना इस समय की प्राथमिकता होनी चाहिए। हम इस महत् कार्य में हविष्य बनने के लिए समर्पित हैं।
ये हमारा सौभाग्य रहा कि हमें हमारे बच्चों ने केवल शिक्षक नहीं... गुरू और माँ का स्थान दिया है ।  अपने उन सभी बच्चों को धन्यवाद दे रहे हैं जिन्होंने अपनेपन के इस निस्वार्थ बंधन को पिछले.... लगभग पैंतीस - छत्तीस वर्षों से जीवन्त बनाया हुआ है और  हमें इस बात पर गौरवान्वित होने का अवसर दिया है कि..... शिक्षण को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने का हमारा निर्णय, युवा पीढ़ी को जीवन मूल्यों की विरासत सौंपने का हमारा सपना थोड़ा ही सही पर..... चरितार्थ तो हुआ !
मेरा दृढ़ मत है, शिक्षक केवल अक्षर-ज्ञान नहीं, छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए उत्तरदायी है। वही एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए आधारशिला तैयार करता है। सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण विश्व के निर्माण के लिए हमें व्यक्ति को समाज - - - - और समाज को राष्ट्र से जोड़ने के लिए जिन जीवन मूल्यों की आवश्यकता है उनकी विरासत को आगे बढ़ाने में मदद अच्छे शिक्षकों द्वारा ही संभव है। जीवन में जिनसे भी शिक्षा मिली,उन सबके प्रति विनम्रता पूर्वक आभार प्रकट करते हैं। 🙏🌷🌷🌷🌷
हम अपने को स्वामी दत्तात्रेय जी की परंपरा से मानते हैं जिन्होंने चौबीस गुरुओं को अपने शिक्षक स्वीकारा था फिर चाहे वो आकाश का चंद्रमा हो या धान कूटती गृहणी.... अतः जीवन में जिनसे भी शिक्षा मिली, पूर्वज- माता- पिता - गुरुजन-बंधु- बाँधव - आत्मीय - परिजन - परिचित - अपरिचित.... सबके प्रति विनम्रता पूर्वक आभार प्रकट करते हुए, शिक्षक-दिवस के अवसर पर हम सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करते हैं ।
🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🙏

कोई टिप्पणी नहीं: