कस्तूरबा गाँधी जी ....की पुण्यतिथि पर सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धाँजलि!!
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भारत के गौरवशाली इतिहास की बलिदान- गाथाओं में महिलाओं के योगदान के कई सुनहले पृष्ठ हैं। संस्कृति ,परंपराओं,युद्ध- शांति, राजनीति , अर्थव्यवस्था, सामयिक स्थितियाँ कोई भी क्षेत्र उनसे अछूता नहीं है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जिन अगणित महिलाओं का नाम है उनमें एक नाम - - - - ' " कस्तूरबा गाँधी " ।
कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल सन् 1869 ई में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था। कस्तूरबा गाँधी की सात साल की आयु में मोहनदास करमचंद गाँधी के साथ सगाई कर दी गई। तेरह साल की आयु में उन दोनों का विवाह हो गया।
कस्तूरबा गाँधी के अपने जीवन मूल्य थे। स्वतंत्रता का मूल्य और स्त्री - सशक्तिकरण उनके लिए महत्वपूर्ण थे। 'बा' जैसे आत्म- बलिदानी व्यक्तित्व के साथ नें ही गाँधीजी के सारे अहिंसक प्रयोगों को शक्ति दी। अपनी नेतृत्व की क्षमताओं का परिचय भी दिया था। जब- जब गाँधी जी जेल गए थे, वो स्वाधीनता संग्राम के सभी अहिंसक प्रयासों में अग्रणी बनी रहीं।कस्तूरबा गाँधी, महात्मा गाँधी के 'स्वतंत्रता कुमुक' की पहली महिला प्रतिभागी थीं।
दक्षिण अफ्रीका में भी उन्होंने गांधीजी का साथ दिया। वहां पर भारतीयों की दशा के विरोध में जब वो आन्दोलन में शामिल हुईं तब उन्हें गिरफ़्तार कर तीन महीनों की कड़ी सजा के साथ जेल भेज दिया गया। जेल में मिला भोजन के लिए उन्होंने फलाहार करने का निश्चय किया पर वहां के अधिकारियों द्वारा उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिए जाने पर उन्होंने उपवास किया जिसके पश्चात अधिकारियों को झुकना पड़ा। विदेशी धरती सत्याग्रह की विजय की ओर उनका बढ़ाया गया क़दम था।
9 अगस्त सन् 1942 ई को शिवाजी पार्क, मुंबई में, जहाँ स्वयं बापू भाषण देने वाले थे, बापू के गिरफ़्तार हो जाने पर कस्तूरबा गाँधी ने, सभा में भाषण करने का निश्चय किया। किंतु पार्क के द्वार पर पहुँचने पर कस्तूरबा गाँधी गिरफ़्तार कर ली गई। कस्तूरबा गाँधी को दो दिन बाद पूना के आगा खाँ महल में भेज दिया गया। उस समय कस्तूरबा गाँधी अस्वस्थ थीं। गिरफ़्तारी की रात को उनका स्वास्थ्य बिगड़ा उसमें फिर कोई सुधार नहीं हुआ।
और---- 22 फ़रवरी सन् 1944 को उनके महाप्रयाण ने देशवासियों के साथ-साथ, भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी को भी अकेला कर दिया था।
कोटि-कोटि नमन व श्रद्धाँजलि भारतीय वीरांगना * कस्तूरबा * को - - - -
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