सर्वप्रथम पराधीन भारतीय अस्मिता को स्वतंत्रता व एकात्मता का पाठ पढ़ाने वाले, भारतीय जनमानस में नई जागृति का मंत्र फूंकने वाले **** " राष्ट्र-पितामह स्वामी दयानंद सरस्वती जी" के जन्मदिवस पर कृतज्ञता पूर्वक कोटि-कोटि नमन व श्रद्धासुमन समर्पित हैं 🌷🌷🌷🌷
स्वामी दयानन्द सरस्वती ******* मात्र एक नाम नहीं ,भारतीयों में स्वाभिमान के दम पर स्वतंत्रता प्राप्ति का बीज बोने वाले महर्षि के व्यक्तित्व का बोधक हैं।मुझे आज भी चमत्कृत करती है इतिहास के पृष्ठों पर अंकित सन् 1873 की वो घटना.... मार्च महीने का वो दिन...... उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड नार्थब्रुक ने कलकत्ता में स्वामी जी से भेंट के समय पूछा था, ' स्वामी जी ! अपने व्याख्यान के प्रारंभ में आप ईश्वर से जो प्रार्थना करते हैं, क्या उसमें आप अँग्रेजी सरकार के कल्याण की प्रार्थना भी करेंगे?'.....1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को बेरहमी से कुचलने वाले बर्बर अँग्रेजी शासन के प्रतिनिधि को, निर्भयता भरे दृढ़ स्वर में स्वामी जी का उत्तर मिला था...... " मैं ऐसी किसी भी बात को स्वीकार नहीं कर सकता। मेरी यह स्पष्ट मान्यता है कि राजनीतिक स्तर पर मेरे देशवासियों की निर्बाध प्रगति के लिए तथा संसार की सभ्य जातियों के समुदाय में आर्यावर्त अर्थात भारत को सम्माननीय स्थान प्रदान करने के लिए मेरे देशवासियों को पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त हो। मैं प्रतिदिन सर्वशक्तिशाली परमात्मा के समक्ष यही प्रार्थना करता हूँ कि मेरे देशवासी विदेशी सत्ता के जुए से शीघ्रातिशीघ्र मुक्त हों । " **** स्वदेश, स्वसंस्कृति और अहिन्दी भाषी होते हुए भी स्वभाषा हिन्दी के सम्मान के सच्चे सेनानी तथा सर्वस्व त्यागी चाणक्य की महान परंपरा का निर्वाह करने वाले राष्ट्रभक्त महर्षि दयानंद सरस्वती जी के चरणकमलों में हम नतमस्तक हो श्रद्धाँजलि अर्पित करते हैं !! 🌷🌷🌷🌷 !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें