अध्यात्मरामायणमाहात्म्यम् ब्रह्माण्डपुराण
पुरा त्रिपुरहन्तारं पार्वती भक्तवत्सला। श्रीरामतत्त्वं जिज्ञासुः पप्रच्छ विनयान्विता ॥ १८।।
पुरा त्रिपुरहन्तारं पार्वती भक्तवत्सला। श्रीरामतत्त्वं जिज्ञासुः पप्रच्छ विनयान्विता ॥ १८।।
प्रियायै गिरिशस्तस्यै गूढं व्याख्यातवान् स्वयम्। पुराणोत्तममध्यात्मरामायणमिति स्मृतम् ॥ १९॥ अध्यात्मरामायणसङ्कीर्तनश्रवणादिजम् । फलं वक्तुं न शक्नोमि कार्त्स्न्येन मुनिसत्तम ॥ २७॥
तथापि तस्य माहात्म्यं वक्ष्ये किञ्चित्तवानघ। शृणु चित्तं समाधाय शिवेनोक्तं पुरा मम ॥ २८॥
अध्यात्मरामायणतः श्लोकं श्लोकार्धमेव वा। यः पठेत् भक्तिसंयुक्तः स पापान्मुच्यते क्षणात्।।२९।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
"कारक्कीदकम" , मलयालयम कैलेंडर का आखिरी महीना, केरल के सभी मंदिरों में "रामायण मासम्" के रूप में मनाया जाता है। राज्य के घरों और मंदिरों में 30 दिनों तक आध्यात्म रामायण के पठन- पाठन, नाट्य-नृत्य की प्रस्तुतियों को समर्पित है यह पूरा महीना। मध्यकाल के भक्तकवि,मलयालम साहित्य के पुरोधा....तुनवत्तेषुत्तच्चन नें मलयालम में जिस उत्कृष्ट कृति की रचना की, उसी "आध्यात्म रामायण" का संगीतमय सुमधुर वाचन १७ जुलाई से १६ अगस्त तक देवभूमि केरल में अलौकिक वातावरण की सृष्टि करता हुआ अपनी प्राचीनतम परंपरा को वर्तमान में भी अक्षुण्ण बनाये रखने का उदघोष भी करेगा स्वराँजलि भी देगा।
🪔🪔🙏नमन देवभूमि केरल को....!! और हार्दिक शुभकामनाएँ रामायण मासम् की !!
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें