जाड़ों का मौसम

जाड़ों का मौसम
मनभावन सुबह

लोकप्रिय पोस्ट

लोकप्रिय पोस्ट

Translate

लोकप्रिय पोस्ट

शुक्रवार, 24 जून 2022

सूर्य की दक्षिणायन यात्रा !

 २०२२ को दक्षिणायन की ओर पहला कदम बढ़ाते सूर्य के चारों ओर फैले प्रभा-मंडल से हमें आदिगुरू दक्षिणमूर्त्ति भगवान शिव के परम कल्याणकारी स्वरूप की स्मृति आ रही है। " गुरवे सर्वलोकानां दक्षिणामूर्तये नम:।। " दक्षिणायन ही वो समय है जब लोक-कल्याण को समर्पित शिव ने दक्षिणमूर्त्ति बनकर सप्तऋषियों को नाद /संगीत , योग, विज्ञान और सभी शास्त्रों का ज्ञान प्रदान किया था।उन्होंने सप्तऋषियों को इस ज्ञान को मानवमात्र तक पहुँचाने का उत्तरदायित्व सौंपा। मदुरई के विश्वविख्यात मीनाक्षी मंदिर का उल्लेख प्राचीनतम तमिल संगम साहित्य में मिलता है उस मंदिर में भी नादयोग से परिचित करवाते दक्षिणमूर्ति के सुंदर विग्रह भी इस सत्य की घोषणा करते हैं। युवा गुरु से वृद्ध शिष्य परावाक् के माध्यम से, मौन रहकर, नयन मूंद कर ज्ञानार्जन कर रहे हैं। 
चित्रं वटतरोर्मूले वृद्धाः शिष्याः गुरुर्युवा | गुरोस्तु मौनं व्याख्यानं शिष्यास्तु च्चिन्नसंशयाः ||
मेरी निजी धारणा है कि जिस तरह मनुष्य के मस्तिष्क का बाँया /उत्तरी भाग तार्किकता (Logic) और दाहिना /दक्षिणी भाग मानव की सृजनशीलता (creativity) को संचालित करता है......., उसी तरह उत्तरायण में तार्किक ज्ञान (Logical knowledge ) पर बल देने वाले हमारे पूर्वजों ने भी भारतीय सभ्यता के उत्कर्ष काल में दक्षिणायन के समय को तार्किक (logical) ज्ञान से अलग सृजनात्मकता से जोड़कर मानव के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रदर्शित किया था।मानवतावादी  विचारों की पोषक भारतभूमि को नमन, वसुधा को कुटुम्ब मानने वाली संस्कृति को नमन।

कोई टिप्पणी नहीं: