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सोमवार, 12 जून 2023

श्री नेक चंद जी का अप्रतिम रॉक उद्यान !!

नमन अप्रतिम कलाशिल्पी पद्मश्री नेक चन्द जी को श्रद्धाँजलि 💐💐💐💐
चंडीगढ़ का रॉक-गार्डन! विश्व के पर्यटकों को आकृष्ट करता है। २४ जनवरी १९७६ में, सारी विरोधी स्थितियों के बावजूद अपनी कलात्मक सृजनशीलता का लोहा मनवा कर श्री नेकचन्द जी ने हज़ारों लोगों की उपस्थिति में रॉक-गार्डन का औपचारिक उदघाटन किया था। रॉक-गार्डन की प्रसिद्धी के कारण सन् १९८३ में डाक-टिकट जारी की गई थी।१९८४ में इस कुशल कलाकार की प्रतिभा का सम्मान भारतीय सरकार ने उन्हें पद्मश्री प्रदान कर किया था। 
रॉक गार्डन चण्डीगढ़, भारत का एक अप्रतिम वैशिष्ट्य लिए मूर्तिकला उद्यान है क्योंकि य उद्यान पूर्णत: औद्योगिक, घरेलू कबाड़ एवं फेंक दिए गए सामान से बनाया गया है। इसे नेक चंद रॉक गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। श्री नेक चंद एक सरकारी कर्मचारी थे और उन्होंने वर्ष१९५७ में अपने खाली समय में चुपचाप इसे बनाना प्रारंभ किया। पंजाब के रहने वाले लोकनिर्माण विभाग में१९५१ में सड़क निरीक्षक के पद पर कार्यरत नेकचंद जी ने प्रसिद्ध सुखना झील के निकट जंगल के एक छोटे से हिस्से को साफ करके औद्योगिक और शहरी कचरे की मदद से एक उद्यान सजाकर लोगों को एक अनूठी जादुई दुनिया से परिचित करवाया। इसका उद्घाटन वर्ष १९७६ में किया गया था।आज यह ४० एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। नवीकृत सिरेमिक से बनाई गई कलाकृतियों के लिए विश्व-विख्यात यह उद्यान आज विश्व में भारत की पहचान है।
रॉक गार्डन में आने वाले पर्यटक यहां की मूर्तियों, मंदिरों, महलों आदि को देखकर अचरज में पड़ जाते हैं। रॉक गार्डन में झूलों, झरनों, सरोवर, नौकायन, घुमावदार रास्तों सहित १४ चित्ताकर्षक विभाग हैं। के झरने, धाराओं, पुलों, मार्गों और हरे-भरे वनस्पतियों के लिए भूनिर्माण तत्व शामिल हैं। दीवारें सुंदर सिरेमिक टाइलों से बनी हैं। बगीचे के झरने, धाराओं, पुलों, मार्गों और हरे-भरे वनस्पतियों के लिए भूनिर्माण तत्व शामिल हैं। दीवारें सुंदर सिरेमिक टाइलों से बनी हैं। एक कृत्रिम पहाड़ी झरने की जलधाराएँ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है । जलप्रपात से बाहर निकल कर वनस्पतियों की हरियाली का खुला क्षेत्र है। मिरर गैलरी और एक्वेरियम है। पर्यटकों के बैठने ,अल्पाहार के आनंद की व्यवस्था भी है। 
खुले प्रांगण क्षेत्र के बाद,एक गुड़िया संग्रहालय है जिसका रूपाकार एक ग्रामीण परिवेश के दैनिक क्रियाकलापों पर आधारित है। गुड़िया संग्रहालय के अंत में एक कमरा है जो चित्रों के माध्यम से उद्यान निर्माण की घटनाओं के कालक्रम को दर्शाता है ।
सुरुचिपूर्ण नवीनता और कल्पनाशीलता को दर्शाते इस गार्डन में कई मूर्तियां हैं, जो घर के बेकार समानों जैसे टूटी हुई चूड़ी, चीनी मिट्टी के बर्तन, तार, ऑटो पार्ट्स और ट्यूब लाइट से बनी हैं। भवन के कचरे, खेलने की गोलियां और टेराकोटा बर्तन को भी गार्डन में भवन, मानवीय चेहरे और जानवरों सहित अनेक रूपों में प्रदर्शित किया गया है। यह अद्भुत गार्डन हर दिन सुबह ९ बजे खुल जाता है। यहां का मुक्ताकाश रंगमंच भी आकर्षित करता है।
हमें नेकचंद जी के रॉक गार्डन आकर मानव की सकारात्मक भूमिका के दर्शन होते हैं। साकार कल्पनाओं के जीवंत परिचय से इस सत्य का  भान होता है कि एक व्यक्ति की अप्रतिम कल्पना और परिश्रम ने एक कैसी अद्भुत दुनिया रच डाली है ! इस अतुलनीय दुनिया में, हर एक के भीतर छिपकर बैठा बच्चा खुशियों से भर जाता है  ....!! 
नमन एक अद्वितीय कलाकार को उनके महाप्रयाण दिवस पर ।🙏
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