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शनिवार, 7 जनवरी 2023

कलाऋषि बाबा योगेंद्र जी के जन्मदिवस पर कोटि-कोटि नमन 🙏🌷🌷🌷🌷
अद्भुत परंतु अश्रुपूरित करने वाला संयोग है कि "कुंभ महापर्व" को वर्ष २०१९ में  अभूतपूर्व ऊँचाइयों तक पहुंचाने के सांस्कृतिक प्रयासों को अपना आशीर्वाद देने वाले पद्मश्री बाबा योगेन्द्र जी का जन्मदिवस 
उनके वैकुण्ठ वास के बाद इस बार, प्रयाग राज के माघ मेले के प्रारंभ में है।
बाबा के साथ २०१९ के कुंभ मेले से सबको जोड़ने की तैयारियों में - - - - सितंबर २०१८ के मुंबई कुंभ ----एवं प्रयागराज में कल्पवास की कितनी ही स्मृतियां हमारे मानस चक्षुओं  में उभर कर मन को भिगो रही हैं।
बाबा के जन्मदिवस और त्यौहारों पर हम बाबाजी को जब भी बधाई संदेश बना कर भेजते तो वे फ़ोन कर हमारे संदेश की प्रशंसा कर हमारा उत्साहवर्द्धन करते थे। आज हमनें यहां भी अपने श्रद्धेय बाबाजी को भेजा पिछले वर्ष ७ जनवरी २०२२को भेजे बधाई संदेश को उनके शब्दों " अरे बाबा रे बाबा! देवी जी की कविता तो थोड़े में बहुत कुछ कह रही है।" की अनुगूंज के साथ ही डाला है। 
यह हमारा सौभाग्य है कि सत्संगति के रूप में हमें बाबा योगेंद्र जी का सानिध्य मिला है। यह सानिध्य उस चित्रकार का सानिध्य है जिन्होंने संपूर्ण भारत में वैचारिक एवं सांस्कृतिक रूप से स्वस्थ समाज की संरचना के लिए , राष्ट्रीय जागरूकता के लिए- - - - नई पीढ़ी में कलात्मक अभिरुचियों की अलख जगाए रखने के लिए राष्ट्रव्यापी आयोजन चलाने का व्रत लिया हुआ है। इन आयोजनों के लिए पूर्वोत्तर के अरुणाचल से लेकर पश्चिम में गुजरात तक, उत्तर में जम्मू कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक के सभी छोटे-बड़े शहरों, गांवों, वनांचलों और पर्वतीय अंचलों की खाक़ छानने का काम 'बाबा योगेंद्र जी' ने किया है।
वर्तमान समय में, अपने जीवन काल में,भारतीय संस्कृति के वीतरागी सन्यासी और कर्मठ योद्धा पौराणिक कथाओं, ऐतिहासिक पुस्तकों में पढ़े चरित्रों जैसे "परंतप  को साकार देखना और उनका आशीर्वाद पाना हमारा परम सौभाग्य है। ईश्वर से हमारी यही कामना है कि हम अपने बाबाजी की वैचारिक विरासत के सच्चे सिपाही पर बन सकें। 🙏

              🙏 हमारे बाबा🙏
  " इस युग के कलाऋषि नें राहें सबकी संवारी!
उसने है बढ़ाई हिम्मत,हौसलों की सदा हमारी!
प्रयासों की पावन ऊँचाईयाँ से बहते झरनों सी, 
हर जीवन से कलुषित ताप की धूल सदा बुहारी! 
चलते रहे हैं आप,बनकर निष्काम भोले-भंडारी,
प्रलोभनों की सेना आपके वीतरागी मन से हारी!
आपके आशीषों की ऊष्मा शीश पर
 पाएं सदा,
 इसी स्वार्थ से भरी रही हमारी मंगलेषाएँ सारी !! 
🙏श्रद्धाँजलि 🌷श्रद्धासुमन 🌷श्रद्धाँजलि 🌷🙏

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