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शनिवार, 19 अगस्त 2023

लोकोत्सव: मधुश्रवा तीज ।

🔱हरियाली तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌺🌺🌺
भारतीय लोकपर्वों की प्रेरणा प्रकृति है। ग्रीष्म ऋतु के भीषण ताप को सहने के बाद पुनर्जीवन की संजीवनी शक्ति के रूप में श्रावणी तीज का आगमन होता है। काले-कजरारे मेघों को आकाश में घुमड़ता देखकर, पावस के प्रारम्भ में पपीहे की पुकार , मयूर का कूजन, मंत्रमुग्ध करता नृत्य और वर्षा की फुहार से जनमानस आनंदित हो उठता है। ऐसे में भारतीय लोक जीवन  हरियाली तीज का पर्व मनाता है। हरियाली तीज पर, जिसे स्वर्ण गौरी तीज भी कहते हैं, सुहागिनें मां गौरी की पूजा करती हैं। कहा जाता है कि एक बार जब शुंभ-निशुंभ राक्षसों की सेना देवताओं पर अत्याचार कर रही थी तो देवताओं ने माँ पार्वती को अपनी पीड़ा सुनाई थी। राक्षसों के इन अत्याचारों को सुनते हुए मां पार्वती अत्यंत क्रोधित हो गई थीं, क्रोध की अतिशयता की अभिव्यक्ति उनके रंग के काले होने से प्रकट हुआ । माँ ने राक्षसों का विनाश किया।काली माँ का रूप- रंग वास्तव में उनके क्रोध का प्रतीक है। यह दुर्दांत क्रोध जब माँ के व्यक्तित्व का स्थाई अंग बनता दिखाई दिया तो भगवान शिव ने पार्वती को क्रोध व अमर्ष पर नियंत्रण रखने के लिए उत्प्रेरित किया। मां पार्वती चित्त को शांत करने के लिए जप-तप में लग गईं। तपस्या के आंतरिक प्रकाश से माँ का तन भी स्वर्णिम आभा से दमकने लगा। तब शिव ने मां पार्वती को स्वर्ण गौरी का नाम दिया । श्रावणी तीज के दिन तपोपूत आनंदमयी माँ पार्वती और शिव के मिलन का दिन कहा जाता है। सृष्टि के सृजन के पर्याय शिव- शक्ति की सकारात्मक ऊर्जा के मिलन के उल्लास पर्व को वैदिक परम्परा में मधुश्रवा तृतीया कहते हैं। ‘मधुश्रवा’ शब्द का अर्थ है-मधुरता का टपकना या मधुरता का संचार होना।  
आसमान में घुमड़ती काली घटाओं तथा पूरी प्रकृति में हरियाली के कारण - - - - " हरियाली तीज "  और "मधुश्रवा तीज" पड़ा है ।
माँ पार्वती के अपने मूल स्वरूप की प्राप्ति व अपने प्रियतम शिव को पाने की तपस्या के फलीभूत होने के इस पावन पर्व का परिदृश्य झूलों से .... राधा-कृष्ण की झूला-लीला से पूर्णता पाता है!!
सृष्टि के हर तत्व को आंनदमय बनाने वाली, क्रोध -अमर्ष की अतिशयता को अपने व्यक्तित्व से हटाकर वैयक्तिक और सामाजिक जीवन में मधुरता का संचार करने की प्रेरणा देने वाली मधुश्रवा तृतीया /
हरियाली तीज की शुभता सब ओर बरसे !!
कजरी के गायन के साथ झूलों का आनंद सदा बना रहे।
कृष्ण हिंडोले बहना मेरी पड़ गये जी,
       ऐजी कोई छाय रही अजब बहार।
सावन महीना अधिक सुहावनौ जी,
       ऐजी जामें तीजन कौ त्यौहार।
मथुरा जी की शोभा ना कोई कहि सके जी,
       ऐजी जहाँ कृष्ण लियौ अवतार।
गोकुल में तो झूले बहना पालनो जी,
       ऐजी जहाँ लीला करीं अपार।  
    🦚🌷🌺🏵️🌼🍀🌼🏵️🌺🌷🦚
                       🌻स्वर्ण अनिल 🌻

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