🙏विनम्र श्रद्धाँजलि 🌷🌷🌷🌷पद्मश्री डॉ नरेन्द्र कोहली जी उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार एवं व्यंग्यकार हैं।अब तक उनकी लगभग सौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।उनकी लेखनी जैसी विविधता, प्रयोगधर्मिता कहीं ओर देखने को नहीं मिलती। उन्होंने एतिहासिक और पौराणिक कथाओं को समसामयिक परिप्रेक्ष्य में रखकर अपनी रचनाओं को अप्रतिम स्वरूप प्रदान किया है। महाभारत की कथा को अपने उपन्यास "महासमर" में समाहित किया है । सन् 1988 में महासमर का प्रथम संस्करण 'बंधन' वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ था । महासमर प्रकाशन के दो दशक पूरे होने पर इसका भव्य संस्करण नौ खण्डों में प्रकाशित किया है । प्रत्येक भाग महाभारत की घटनाओं की समुचित व्याख्या करता है। इससे पहले महासमर आठ खण्डों में ( बंधन, अधिकार, कर्म, धर्म, अंतराल,प्रच्छन्न, प्रत्यक्ष, निर्बन्ध) था, इसके बाद वर्ष 2010 में भव्य संस्करण के अवसर पर महासमर आनुषंगिक (खंड-नौ) प्रकाशित हुआ । महासमर भव्य संस्करण के अंतर्गत ' नरेंद्र कोहली के उपन्यास (बंधन, अधिकार, कर्म, धर्म, अंतराल,प्रच्छन्न, प्रत्यक्ष, निर्बन्ध, आनुषंगिक) प्रकाशित हैं । महासमर में 'मत्स्यगन्धा', 'सैरंध्री' और 'हिडिम्बा' के बारे में वर्णन है, लेकिन स्त्री के त्याग को हमारा पुरुष समाज भूल जाता है।जरूरत है पौराणिक कहानियों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समझा जाये। इसी महासमर के अंतर्गत तीन उपन्यास 'मत्स्यगन्धा', 'सैरंध्री' और 'हिडिम्बा' भी लिखे गये हैं। रामकथा से सामग्री लेकर चार खंडों में १८०० पृष्ठों का एक वृहदाकार उपन्यास लिखा। कदाचित् संपूर्ण रामकथा को लेकर, किसी भी भाषा में लिखा गया, यह प्रथम उपन्यास है। उपन्यास है। नरेन्द्र कोहली जी ने अपनी कहानियों में साधारण पारिवारिक चित्रों और घटनाओं के माध्यम से समाज की विडंबनाओं को रेखांकित किया था।
भारत की महान सांस्कृतिक परंपराओं से आधारभूमि लेकर जीवन के उदात्त मूल्यों का चित्रण कर हिंदी पाठकों को चिंतन के नए आयामों से जोड़ने वाले अप्रतिम साहित्य-शिल्पी डॉ नरेंद्र कोहली जी को जन्मदिवस पर विनम्र नमन।
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