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मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

वसंत-पंचमी : भारतीय सांस्कृतिक, ऐतिहासिक अस्मिता का दिवस।

ऋतुराज वसंत की पंचमी तिथि ; भारतीय जनजीवन में अनादि काल से वर्तमान युगों की अविस्मरणीय विरासत को सहेजे हुए है।
 माघ मास की शुक्ल पक्ष की इस पंचमी को देवी सरस्वती के अवतरण की मान्यता के अनुसार इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित किया गया है। भारतीय आदिग्रंथ ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-
"प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।" 
अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं।
सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। माँ सरस्वती के प्रकटोत्सव के रूप में वसंत पंचमी के पावन पर्व को मनाया जाता है ।
देवी सरस्वती का वर्णन वेदों के मेधा सूक्त में, उपनिषदों, रामायण, महाभारत के अतिरिक्त कालिका पुराण, वृहत्त नंदीकेश्वर पुराण तथा शिव महापुराण, श्रीमद् देवी भागवत पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण इत्यादि में मिलता है।
 पौराणिक आख्यानों के अनुसार ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्माजी ने जीवों और मनुष्यों की रचना की। उन्होंने सृजित सृष्टि को देखा। उन्होंने अनुभव किया कि ये सभी सृजन निस्तेज हैं । वातावरण में अत्यधिक नीरवता थी। कोई ध्वनि या वाणी नहीं थी। उस समय, भगवान विष्णु के आदेश पर, ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। धरती पर गिरे जल ने पृथ्वी को कम्पित कर दिया तथा एक अप्रतिम सुंदरी स्त्री एक अद्भुत शक्ति के रूप में, चार भुजाओं के साथ प्रकट हुई। वे देवी एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ वरमुद्रा धारण किए तथा अन्य दो हाथों में पुस्तक व सुमरनी माला थी। भगवान ने महिला से वीणा बजाने का आग्रह किया। वीणा के स्वरों के प्रभाव के परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों एवं मनुष्यों को वाणी प्राप्त हुई। देवी सरस्वती ने वाणी सहित सभी आत्माओं को ज्ञान और बुद्धि प्रदान की यही कारण है कि भारत में चिरकाल से विद्यारंभ संस्कार के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। 
माघ मास का विशेष धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व भी है। इस महीने तीर्थ क्षेत्र में स्नान का विशेष महत्व है। भक्त इस दिन गीत, संगीत और नृत्य कर उत्सव मनाते इस दिन का उद्देश्य, सृष्टि में नव चेतना और नव निर्माण के कारण हुए आनंद को व्यक्त करना और आनंदित होना है। कृषि प्रधान संस्कृत के कारण हम भारतीय, इस दिन नवान्न इष्टी यज्ञ भी करते है। इस दिन खेतों में उगाई गई नई फसल को घर में लाया जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है। इस दिन गणपति, इंद्र, शिव और सूर्यदेव की उपासना भी की  जाती है। वसंत ऋतु में वृक्षों में नए पल्लव आते हैं। प्रकृति के इस बदलते स्वरूप के कारण मनुष्य उत्साही और प्रसन्नचित्त हो जाता है। यह पर्व सूर्य के संक्रमण का प्रतीक है। इस दिन कुंभ मेले में शाही स्नान होता है।
भारतीय जनमानस, अपने सांस्कृतिक पर्व के साथ-साथ लोक-चेतना में रची-बसी अनेक महान ऐतिहासिक विभूतियों को भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
आईए आज के दिन के हर संदेश को आत्मसात कर कृतकृत्य हो जाएं। 
🌼वसंत पंचमी ; बुद्धि, प्रज्ञा और समग्र कलाओं की देवी सरस्वती के अवतरण का पावन दिवस ।      
 🌼लोक परंपराओं में इस दिन को श्रीराम द्वारा दंडकारण्य में शबरी के प्रेम रस से भरे जूठे बेर खाने का अभूतपूर्व दिवस  माना जाता है।          
🌼भारतीय अस्मिता के रक्षक सम्राट पृथ्वीराज चौहान द्वारा अपने मित्र और राजकवि चन्द बरदाई के शब्दों "चार बांस चौबीस गज, अँगुली अष्ट प्रमाण। ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान।।" पर आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी पर शब्दभेदी बाण चलाना , (सोलह बार पराजित कर जीवनदान देकर) और... पृथ्वीराज-बरदाई का आत्मबलिदान दिवस।
🌼लाहौर में जन्मे वीर बालक हकीकत राय को माँ दुर्गा के अपमान के प्रतिरोध और धर्मपरिवर्तन को अस्वीकार करने के कारण१७३४ की वसंत पंचमी को लाहौर में मृत्युदंड दिया गया।चौदह वर्ष के बालक द्वारा धर्म के लिए दिए गए बलिदान को याद करते हुए उन्हे श्रद्धासुमन सुमन अर्पित कर उनके आकाशगामी शीश को याद कर आज भी पतंगें उड़ा कर उनकी स्मृतियों का स्मरण किया जाता है। 
🌼मान्यताओं के अनुसार दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी का विवाह वसंत पंचमी को हुआ था। 
🌼गुरू रामसिंह कूका जी (कूका पंथ) जिन्होंने अँग्रेजी शासन के विरोध में अपनी प्रशासन व्यवस्था और डाक सेवा चलाई तथा स्वदेशी, गोरक्षा एवं देश के स्वाभिमान हेतु बलिदान दिया उनका जन्मदिवस  (१८१६ई.की वसंत पंचमी ) । 
🌼सरसों के पीले फूलों की चुनरी धरती को उढ़ाकर, ऋतुराज वसंत का स्वागत करने वाली ये पावन वसंत पंचमी सब ओर शुभता, समृद्धि और शान्ति लाए।
 हम सब सम्राट पृथ्वीराज चौहान-चंद बरदाई, वीर बालक हकीकत राय, गुरु रामसिंह कूका जी के देश और धर्म-रक्षा के मार्ग पर सर्वस्व अर्पित करने वाले अमर बलिदान के सम्मुख नतमस्तक हो, श्रद्धासुमन अर्पित करें , श्रीराम-शबरी के पावन चरित्रों को नमन कर, निश्छल प्रेम की मर्यादा को अपनाने का प्रयास करें। उत्तरायण के सूर्य की सुनहरी किरणों से उभरते बसंती रंग की ऊर्जा---- देवत्व के गुणों, भक्ति और प्रेम के मकरंद और देश व धर्म के उच्चत्तम आदर्शों के लिए सर्वत्यागी बनने के शौर्य से परिपूर्ण वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
🙏डॉ स्वर्ण अनिल ।
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