जाड़ों का मौसम

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बुधवार, 9 मई 2012

!! हमारे तुम्हारे बीच !!



 शब्दातीत सा - अनबूझा सा - कुछ  है - हमारे -तुम्हारे बीच  !!
प्यार के इन्द्रधनुषी रंगों से ,श्रद्धा के कोमल पराग से सजाई रंगोली के मध्य 
 निरंतर  प्रकाशित - अकम्पित दीप सा कुछ  है - हमारे -तुम्हारे बीच !!
बचपन की निश्छल हंसती आँखों सा ,मित्रता के अटूट विश्वास सा ,
सुहागन की मांग के सिन्दूर सा दमकता-   कुछ  है - हमारे -तुम्हारे बीच !!
 ये जो तुम को हमारे लिए -  हमको तुम्हारे लिए  कितने नातों में ढालता रहा,
कभी शिशु कभी प्रौढ़ , कभी सखा कभी सहचर,कभी गुरू कभी शिष्य कभी पूज्य कभी पूजक बनाता,                                                                                                                        निरंतर विकसित होता ये सम्बन्ध !
सच कहो - समाज के दिए किसी एक नाम से क्या परिभाषित हो पायेगा ?
 ये जो शब्दातीत सा - अनबूझा सा -अनाम  कुछ  है -  हमारे तुम्हारे  बीच !!  

1 टिप्पणी:

Anil Kumar Dubey ने कहा…

nirantar viksit hota sambandh sachmuch shabdateet hota hai .